कृषि और पशुपालन को ग्रामीण जीवन की रीढ़ माना जाता है। खासकर दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में किसान अब नए आयाम स्थापित कर रहे हैं। देश के कई हिस्सों में किसान अपने डेयरी फॉर्मों में बायोगैस प्लांट लगाकर जहां बिजली और गैस का उत्पादन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनकी यह पहल ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने में भी मददगार साबित होगी और गांव का पर्यावरण भी स्वच्छ रहेगा।
1,000 यूनिट बिजली और 330 किलो एलपीजी का उत्पादन
इसका सबसे अच्छा उदाहरण दिल्ली के दो किसान भाइयों का है। बायोगैस प्लांट से संदीप और मंदीप पर्यावरण संरक्षण के साथ स्वच्छता में सहयोग कर रहे हैं। संदीप सिंह बताते हैं कि फरीदाबाद, नजफगढ़ व बल्लभगढ़ समेत आसपास के जिले के किसानों से पशुओं का चारा आता है। उसके बदले वे अपने खाली वाहन में डेरी से सूखी और तरल जैविक खाद ले जाते हैं। उन्होंने बायोगैस प्लांट लगाकर न सिर्फ गोबर व चारे से नालियों व सीवर को जाम होने से बचाया है, बल्कि उससे गैस बनाकर बिजली और गैस मद में हर माह तीन से चार लाख रुपये की बचत कर अपनी डेरी को आत्मनिर्भर बनाया है।