शुद्ध के लिए युद्ध अभियान (The Crusade for Purity) 1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक महत्वपूर्ण आन्दोलन था, जो खासकर सामाजिक सुधार और सांस्कृतिक परिवर्तन के लिए था। यह आन्दोलन समाज सुधारकों द्वारा शुरू किया गया था, जिनका उद्देश्य भारतीय समाज में व्याप्त अंधविश्वास, जातिवाद और अन्य कुरीतियों को खत्म करना था। इसके अलावा, यह अभियान ब्रिटिश साम्राज्य की खिलाफ़ भारतीयों को एकजुट करने का प्रयास भी था।
अधिक विशिष्ट रूप से, यह अभियान ईसाई धर्म प्रचारकों और ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा भारतीय समाज पर सांस्कृतिक प्रभाव डालने के प्रयासों के खिलाफ था। विशेषकर, स्वामी दयानंद सरस्वती और पं. राममोहन राय जैसे समाज सुधारक इस आन्दोलन में प्रमुख रूप से शामिल थे।
इसमें मुख्य उद्देश्य धार्मिक और सांस्कृतिक शुद्धता के लिए संघर्ष करना था, साथ ही भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियों और सामाजिक बुराईयों को समाप्त करना था।
शुद्ध के लिए युद्ध अभियान भारतीय समाज के सुधार के लिए महत्वपूर्ण था, जिसमें धार्मिक पाखंड, सामाजिक असमानताएँ और मानसिक गुलामी को चुनौती दी गई।