हिजरी संवत (हिजरी कैलेंडर) इस्लामिक कैलेंडर है, जो पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के मदीना हिजरत (मदीना की ओर प्रस्थान) से शुरू होता है। हिजरी संवत की शुरुआत 1 हिजरी से होती है, जो 622 ईस्वी (इसाई कैलेंडर) में मदीना की ओर मुहम्मद साहब की हिजरत के साथ हुई थी।
हिजरी संवत के इतिहास की प्रमुख जानकारी:
- हिजरी संवत की शुरुआत: हिजरी कैलेंडर की शुरुआत 1 हिजरी से होती है, जो मदीना में मुहम्मद साहब के हिजरत के बाद हुआ था। हिजरत का यह वर्ष 622 ईस्वी के आसपास था। यह कैलेंडर पूर्णत: चंद्र आधारित है, यानी यह चंद्रमास (लूनर मास) पर आधारित होता है, और इस कारण हिजरी संवत के महीनों का आकार ईसवी कैलेंडर के महीनों से अलग होता है।
- कैलेंडर की संरचना: हिजरी कैलेंडर में 12 महीने होते हैं और प्रत्येक महीने में 29 या 30 दिन होते हैं, जो चंद्रमास के चक्र के आधार पर होते हैं। एक हिजरी वर्ष का कुल दिनों का संख्या 354 या 355 दिन होती है, जो कि ग्रेगोरियन कैलेंडर से लगभग 11 दिन कम है।
- हिजरी कैलेंडर के महीने: हिजरी कैलेंडर के 12 महीने निम्नलिखित हैं:
- मुहर्रम
- सफर
- रबी’ अल-औल
- रबी’ अल-थानी
- जमादी अल-अव्वल
- जमादी अल-थानी
- रजब
- शाबान
- रमजान
- शवाल
- ज़ुल-क़ादा
- ज़ुल-हिज्जा
- हिजरी संवत की मान्यता: हिजरी संवत का उपयोग मुस्लिम समुदाय द्वारा धार्मिक कार्यों के निर्धारण, जैसे कि रमजान के रोजे, हज यात्रा, और अन्य धार्मिक पर्वों के लिए किया जाता है। हिजरी कैलेंडर का पालन अधिकतर इस्लामिक देशों में होता है, हालांकि ग्रेगोरियन कैलेंडर भी एक साथ उपयोग होता है।
- हिजरी संवत का महत्व: यह कैलेंडर इस्लामिक इतिहास और परंपराओं से गहरे रूप से जुड़ा हुआ है और मुस्लिम जीवन के महत्वपूर्ण कार्यों के निर्धारण में इसका अहम स्थान है।