fbpx

Total Users- 556,016

Thursday, November 21, 2024

संस्मरण : अपने अनुभव से बताएं , क्या भीड़ की सभी मांग सही होती है ?  

लगभग 40 साल पहले जब मैं इंदौर के एसजीएसआईटीएस इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहा था तो मुझे भी थोड़ा जागरूक नागरिक बनने का चस्का लग गया था . कॉलेज के पास स्टारलिट टाकीज़ में लगी एक अंग्रेज़ी फिल्म के पोस्टर पर लिखा था ‘ जनता की विशेष मांग पर ‘ और फिल्म का नाम था ‘ खतरनाक जासूस और चुलबुली हसीना ‘ . मैं थियेटर के मैनेजर के पास पहुंचा और बोला , बताइये , जनता की तरफ से मांग कहाँ उठी थी ? वे कुछ बोलते , इसके पहले मैंने तल्खी दिखाते हुए कहा , देखिये , मैं भी जनता हूँ . इसलिए आगे से जनता के नाम का गलत इस्तेमाल बंद कर दीजिये . वे जानते थे कि मैं दबंग छात्र-नेता हूँ . उन्होंने कहा, ठीक है . कुछ दिनों तक उनके पोस्टर पर कुछ नहीं लिखा दिखा . परन्तु एक दिन मैंने देखा फिर उस टाकीज़ के पोस्टर पर लिखा था , ‘ जोशीले मर्दों की भारी डिमांड पर ‘ फिल्म का नाम था ‘ मासूम जवानी की कमीनी रातें ‘ . उस रात मैंने मैनेजर से फिर तलब की तो वह बोला , सर , आप थोड़ी देर शो-टाइम तक रुक जाइए . मैंने देखा, उस शो में मेरे कुछ सीनियर , मेरे कुछ बैचमेट भी आएं हैं , उन्होंने मैनेजर से सीटें रखने की खबर भेजी हुई थी . मैनेजर ने विनम्रतापूर्वक व्यंग्यबाण छोड़ा , सर , इस देश में बहुत से लोग, बहुत कुछ अवैध और अनैतिक मांगना चाहते हैं परन्तु वे मांग नहीं पाते . हम जैसे कुछ लोग उस भीड़ की मांग को सामने ले आते हैं और वे बढ़ चढ़कर उसका आनंद ले लेते हैं . मैं निरुत्तर था .

आज मुझे वह अद्भुत घटना याद आ गई क्योंकि मेरे पास मेरे एक मित्र अपने परिचित के साथ किसी काम से आये थे . उन परिचित ने हाउसिंग बोर्ड से मकान बुक किया था . जिसके निर्माण में कई कमियों के किस्से अक्सर पेपर में छपते रहते थे . मैंने उनसे कहा कि आपको बहुत नुकसान हुआ होगा . वे बोले , इसका उलटा है . हमारे एसोसिएशन के नेता अनाप शनाप मांगें करते हैं , हाउसिंग बोर्ड उनमे से अनेक मान लेता है और उस एक्स्ट्रा लाभ को हम एन्जॉय करते हैं . हम कैसे गलत मांगें करें, हमें समझ नहीं आता है? उसी तरह की मांगे, वे सामने लाते हैं , हम उनके साथ खड़े होकर , बढ़ चढ़कर उसका आनंद लेते हैं.

लगभग ऐसी ही अवैधानिक मांग करने का प्रचलन हम अखबार वालों के समर्थन के कारण बढ़ रहा है . अनेक बार किसी उद्योग या व्यवसयिक संस्था में किसी व्यक्ति की नैसर्गिक मौत होने पर भी , उस जगह के कुछ छुटभैया नेता पीड़ित परिवार की मदद के लिये अनुचित मांग को लेकर सामने आते हैं . वे घरवालों को लाश लेकर धरने पर बैठने उकसाते हैं और दबाव बनाकर , पुलिस प्रशासन को भी बैकफुट में लाकर , संस्था से अच्छी-खासी रकम लेकर ही मानते हैं . मैं खुद मानता हूँ कि जान की कीमत अनमोल है परन्तु आजकल अनेक मामलों में निर्दोष को दोषी ठहराकर वसूली करना कितना सही है ? अनेक लोग इन बातों को अच्छी तरह से समझते हैं परन्तु कोई सामने नहीं आना चाहता है क्योंकि ‘ यह भीड़ की विशेष मांग पर होता है ‘ .

More Topics

Aishwarya Rai ने शेयर किए Aaradhya के बर्थडे पिक्स

बॉलीवुड एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय (Aishwarya Rai) और अभिषेक बच्चन...

Vijay Deverakonda ने Rashmika Mandanna संग कबूली अफेयर की बात

साउथ के एक्टर विजय देवरकोंडा (Vijay Deverakonda) पिछले कुछ...

Google Chrome बेचने की संभावना, यूजर्स पर क्या पड़ेगा असर

Google Chrome, जो दुनिया का सबसे पॉपुलर वेब ब्राउज़र...

अगहन गुरुवार व्रत : जानें पूजा का सही समय और लाभ

अगहन मास, जिसे मार्गशीर्ष मास भी कहा जाता है,...

Follow us on Whatsapp

Stay informed with the latest news! Follow our WhatsApp channel to get instant updates directly on your phone.

इसे भी पढ़े