लगभग 40 साल पहले , एक दिन , इंदौर के इंजीनियरिंग कालेज में मेरे हॉस्टल का मेरा एक प्रिय मित्र लगभग रोते हुये मुझसे बोला , मैं बहुत दुर्भाग्यशाली हूं। हमेशा हजारों की उधारी में डूबा रहता हूं। किस तरह पढ़ाई कर रहा हूं तुम्हे क्या बताऊं ? कुछ अरसे पहले उस मित्र से मिलना हुआ। अब वह मुम्बई की बहुत बड़ी इंडस्ट्री का मालिक है। पुरानी बात याद दिलाने पर धनपति मित्र बोला, यार, मैं बहुत सौभाग्यशाली हूं परंतु अब भी बैंकों की करोड़ों रूपयों की उधारी है। दोनों ठहाका मारकर हंस पड़े क्योंकि हम जान गये थे कि सौभाग्य या दुर्भाग्य व्यक्ति का एक नजरिया होता है।
एक पहाड़ी बूढ़े का एकलौता प्यारा घोड़ा खाई में गिर गया। लोगों ने उसे बहुत दुर्भाग्यशाली कहा। कुछ दिनों बाद वह घोड़ा अपने साथ दस बारह जंगली घोड़े को ले आया। लोगों ने बूढ़े को बहुत भाग्यशाली बताया। थोड़े दिन बाद एक जंगली घोड़े को सिखाते- सिखाते बूढ़े के एकलौते लड़के की रीढ़ की हड्डी टूट गई, उसे एक साल बिस्तर पर गुजारने कहा गया। फिर लोगों ने बूढ़े के भाग्य को कोसा। अचानक पड़ोसी राज्य ने आक्रमण कर दिया। बीमार तथा बूढ़ों को छोड़ कर वे अन्य युवाओं को गुलाम बनाकर ले गये। बूढ़े का बेटा बच गया, सबने उसके सौभाग्य को सराहा।
दरअसल, जब हम स्वयं या दूसरे को आशा से अधिक पाते देखते हैं तो उसे सौभाग्यशाली कहते हैं और आशा से कम मिलने पर दुर्भाग्यशाली। तात्पर्य यह है कि यह सब अपनी आशाओं व नजरिये पर निर्भर करता है। कोई व्यक्ति दो रोटी, सब्जी मिलने को अपना सौभाग्य मान सकता है, वहीं दूसरा व्यक्ति अच्छा पकवान न मिलने पर दो रोटी, सब्जी को अपना दुर्भाग्य मान सकता है। खुद को सौभाग्यशाली मानना भी एक नजरिया होता है। एक बार खुद को भाग्यशाली मानकर देखें, ज़िंदगी बहुत हसीन लगने लगेगी |
इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक
दैनिक पूरब टाइम्स