1997 में सुभाष घई की निर्देशित शाहरुख खान और अपूर्व अग्निहोत्री स्टारर फिल्म “परदेस” ने बॉलीवुड में एक नवोदित एक्ट्रेस का पदार्पण किया। उनकी पहली फिल्म इतनी अच्छी तरह से हिट हुई कि वह रातों-रात स्टार बन गईं। उन्हीं की चर्चा सिर्फ बॉलीवुड के गलियारों में होती थी।
सुभाष घई ने माधुरी दीक्षित के साथ फिल्म बनाना चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका, तो उन्होंने नौसिखिया महिमा चौधरी को कास्ट करने का निर्णय लिया. ऐक्ट्रेस को ये फिल्म किस्मत से मिली। इस फिल्म ने महिमा को बॉलीवुड में उभरते सितारे के तौर पर पेश किया और उन्हें पहली ही फिल्म से अविश्वसनीय सफलता मिली।
‘परदेस’ की सफलता ने महिमा चौधरी को स्टारडम के सातवें आसमान पर पहुंचा दिया था। उन्होंने अपनी दूसरी फिल्म, “दाग द फायर” को भी बॉक्स-ऑफिस पर सफलता मिली। लेकिन, एक्ट्रेस की तीसरी फिल्म से शुरू हुआ फ्लॉप फिल्मों का सिलसिला वर्षों तक जारी रहा।
एक्ट्रेस की सभी फिल्में, जैसे प्यार कोई खेल नहीं, दिल क्या करे, दीवाने, कुरुक्षेत्र, खिलाड़ी 420 और लज्जा, बॉक्स-ऑफिस पर बैक-टू-बैक हिट रही थीं। टिकट खिड़की पर इन असफलताओं से जूझ रही महिमा चौधरी को एक ऐसा हादसा हुआ जो उनके पैरों तले गिर गया।
अजय देवगन के साथ ‘दिल क्या करे’ की शूटिंग करते समय उनका अचानक एक दिन दुर्घटना हुई। एक कार ने एक्ट्रेस को ठोक दिया, जिससे वह बुरी तरह घायल हो गई।
इस सड़क हादसे में महिमा का चेहरा बुरी तरह घायल हो गया था. हाल ही में रेडियो नशा को दिए एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने बताया कि उनके चेहरे से 67 कांच के टुकड़े निकाले गए थे और उनका पूरा चेहरा बदल गया था.
इस दुर्घटना के समय वह प्रकाश झा की फिल्म “दिल क्या करे” की शूटिंग कर रही थीं। नायिका ने बताया कि उन्होंने अजय देवगन और प्रकाश झा से अपनी दुर्घटना को गोपनीय रखने के लिए कहा था और इस घटना के बारे में इंडस्ट्री में कई साल तक किसी को पता भी नहीं था।
महिमा चौधरी ने लगभग 20 साल तक अपने दुर्घटना के बारे में किसी को नहीं बताया। उसने मीडिया से भी दूरी बनाए रखी। रिकवरी के बाद एक्ट्रेस ने फिल्मों में वापसी की, लेकिन सफल नहीं हो सकीं। 1997 से 2018 के बीच, महिमा ने 25 डिजास्टर और सुपरहिट फिल्में दी हैं।