शारदा साहू: नवाचारी शिक्षिका, गणित शिक्षा में क्रांति
शारदा साहू, सकीय प्राथमिक शाला सोरिदभाट की शिक्षिका, अपनी नवाचारी शिक्षण शैली और बच्चों के प्रति समर्पण से शिक्षा के क्षेत्र में मिसाल कायम कर रही हैं। गणित जैसे चुनौतीपूर्ण विषय को रोचक और सुलभ बनाने के लिए उन्होंने कई अनूठे तरीकों का विकास किया है।
नवाचार से शिक्षा का मार्ग प्रशस्त
शारदा साहू ने खेल-खेल में गणित सिखाने की पहल की। उनकी विधि “खेलो चलो नंबरों का खेल” के तहत बच्चों को अंक और संख्या का ज्ञान कराया जाता है। इसके साथ ही, उन्होंने विभिन्न गतिविधियों जैसे ज्यामितीय आकृतियां, गुणा-भाग मशीन, और कबाड़ से टीएलएम (टीचिंग लर्निंग मटेरियल) का निर्माण किया।
कबाड़ से जुगाड़: संसाधनों का नवाचार
शारदा ने “कबाड़ से जुगाड़” के माध्यम से गणितीय अवधारणाओं को समझाने वाले मॉडल बनाए। इसमें जोड़ना, घटाना, गुणा, भाग, और ज्यामितीय आकृतियों को खेल-खेल में सिखाने की गतिविधियां शामिल हैं।
समूह निर्माण और गतिविधि आधारित शिक्षा
शिक्षिका ने समूह निर्माण की विधि अपनाई, जहां तेज सीखने वाले बच्चों को कमजोर बच्चों के साथ मिलाकर शिक्षा दी जाती है। खेल मैदान में ज्यामितीय आकृतियों का व्यावहारिक ज्ञान देकर बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है।
नवाचार के लिए सम्मानित
उनके नवाचारी प्रयासों को राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सराहा गया है। उन्हें 2022 और 2023 में “शून्य निवेश नवाचार पुरस्कार,” 2024 में “विनोबा एप पुरस्कार,” और “शिक्षा दूत पुरस्कार” से सम्मानित किया गया है।
बच्चों को प्रेरित करने का अनूठा तरीका
शारदा साहू ने बच्चों को स्वयं से कार्य करने और सीखने के अवसर दिए, जिससे उनके आत्मविश्वास और सीखने की क्षमता में वृद्धि हुई। यह शिक्षण पद्धति बच्चों को गणित के प्रति रुचि और समझ बढ़ाने में प्रभावी रही है।
निष्कर्ष
शारदा साहू ने अपने नवाचारों से प्राथमिक शिक्षा को एक नई दिशा दी है। उनकी विधियां न केवल बच्चों को सिखाने में सहायक हैं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव का प्रतीक भी हैं। राष्ट्रीय गणित दिवस पर उनके प्रयासों को आदर्श मानते हुए शिक्षा के नवाचारों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।