छत्तीसगढ़: रायपुर-दक्षिण विधानसभा उपचुनाव के लिए चुनावी बिगुल बज चुका है, जिसके साथ ही भाजपा, कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों की दावेदारी भी तेज हो गई है। यह सीट भाजपा के लिए वर्षों से एक मजबूत गढ़ रही है, जहां के प्रत्याशियों ने लगातार जीत दर्ज की है।
13 नवंबर को होने वाले इस उपचुनाव में प्रमुख राजनीतिक दलों की अग्नि परीक्षा होगी। मतदाता यह तय करेंगे कि कौन सा प्रत्याशी उनकी उम्मीदों पर खरा उतरता है।
इस सीट का इतिहास भी काफी दिलचस्प रहा है। 1990 से पहले, जनता पार्टी और कांग्रेस के प्रत्याशी इस क्षेत्र में जीतते रहे हैं, लेकिन उसके बाद भाजपा ने इस सीट पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली।
1977 में जब चुनाव हुए थे, उस समय देशभर में छात्रों के आंदोलन का प्रभाव था। जनता पार्टी की प्रत्याशी रजनी डीपी उपासने ने 17,925 मत प्राप्त कर जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी रघुवीर प्रसाद चुनाव हार गए थे।
1980 और 1985 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जीत हासिल की, जबकि भाजपा उस समय दूसरे स्थान पर रही। भाजपा के वरिष्ठ नेता और वर्तमान सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने 1990 में इस सीट पर पहली बार जीत हासिल की, और उसके बाद से लगातार कई बार इस सीट से विधायक बने।
हालांकि 2018 में कांग्रेस की आंधी में भाजपा ने चार में से तीन सीटें खो दीं, बृजमोहन अग्रवाल ने रायपुर-दक्षिण सीट से जीत का परचम लहराया।
इस उपचुनाव में सभी की नजरें इस बात पर होंगी कि भाजपा अपनी परंपरागत सीट को बचा पाती है या कांग्रेस इस बार वापसी करेगी।