केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए आज एक महत्वपूर्ण पहल की। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की उपस्थिति में डेयरी और वन उपज के क्षेत्र में दो ऐतिहासिक समझौता ज्ञापनों (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। इस कार्यक्रम के जरिए सहकारी विकास को बढ़ावा देने और ग्रामीण समुदायों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक नया अध्याय शुरू हुआ।
प्रमुख घोषणाएं और समझौते
- डेयरी क्षेत्र में सहकारी पहल:
- डेयरी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नई सहकारी योजनाओं की शुरुआत की गई।
- इसका उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना और किसानों को अतिरिक्त आय के अवसर प्रदान करना है।
- वन उपज के सर्टिफिकेशन और मार्केटिंग:
- आदिवासी समुदाय द्वारा एकत्र की जाने वाली वन उपज, जो पहले बहुत कम कीमत पर बेची जाती थी, अब उचित दाम पर बिकेगी।
- बेहतर सर्टिफिकेशन और मार्केटिंग की व्यवस्था से जनजातीय समुदायों को सीधा लाभ होगा।
शाह के संबोधन के मुख्य बिंदु
- जैविक खेती पर जोर:
अमित शाह ने रासायनिक खेती के खतरों को उजागर करते हुए जैविक खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।- जैविक खेती न केवल स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण और भूमि की उर्वरता के लिए भी फायदेमंद है।
- गुजरात का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि कैसे देसी गाय के गोबर से बनी खाद से खेती को लाभकारी बनाया गया।
- वन उपज का सशक्तिकरण:
- सर्टिफिकेशन और मार्केटिंग के माध्यम से आदिवासी उत्पादों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराए जाएंगे।
- इससे आदिवासी समुदायों की आय में वृद्धि होगी।
अमित शाह का संदेश
उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। पानी, भूमि और मेहनतकश लोग यहां बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं। जरूरत थी केवल एक नई शुरुआत की, और आज इस कार्यक्रम ने इसे साकार किया।”
छत्तीसगढ़ के विकास पर असर
- इन पहलों से राज्य में ग्रामीण और आदिवासी समुदायों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
- डेयरी और वन उपज के विकास से स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
- सतत कृषि और जैविक उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा।
इस कार्यक्रम ने छत्तीसगढ़ को सहकारी क्षेत्र में नई पहचान दिलाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।