नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों की नीतियों पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और सैन्य शासन को लेकर पश्चिमी देशों के अलग-अलग मानक हैं। जयशंकर ने पाकिस्तान और बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए यह दिखाया कि किस तरह पश्चिमी देश अपनी सुविधा के हिसाब से सिद्धांतों को बदलते हैं। उन्होंने मंगलवार को एक सेमिनार में कहा कि अब दुनिया के एजेंडा को कुछ गिने-चुने देश तय नहीं कर सकते।
पश्चिमी देशों ने हमेशा अपने फायदे के लिए नीतियां बनाई
एस जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के उदाहरण यह साबित करते हैं कि पश्चिमी देशों ने हमेशा अपने फायदे के हिसाब से नीतियां बनाई हैं। पाकिस्तान में सेना का शासन रहा, लेकिन उसे हमेशा समर्थन मिला। दूसरी ओर, बांग्लादेश में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को गिराने की साजिश हुई। इसके बावजूद वहां की अंतरिम सरकार को पश्चिमी देशों का समर्थन मिलता रहा।
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जयशंकर ने कहा कि जब किसी देश में सैन्य शासन होता है, तब पश्चिमी देशों को कोई परेशानी नहीं होती। लेकिन जब कोई लोकतांत्रिक सरकार बनती है और वह उनकी नीतियों के खिलाफ जाती है, तो उसे गिराने की कोशिश होती है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर सैन्य शासन स्वीकार्य है, तो फिर लोकतंत्र की दुहाई क्यों दी जाती है? यह एक बड़ा पाखंड है, जिसे अब बेनकाब किया जाना चाहिए।
रूस-यूक्रेन और मिडिल ईस्ट में दोहरी नीति
जयशंकर ने कहा कि इस समय दुनिया में दो बड़े संघर्ष चल रहे हैं – मिडिल ईस्ट और रूस-यूक्रेन युद्ध। उन्होंने कहा कि इन संघर्षों में भी पश्चिमी देशों की नीति में भेदभाव साफ दिखता है। वे अपने सिद्धांतों की दुहाई देते हैं, लेकिन उनका पालन केवल चुनिंदा जगहों पर ही करते हैं। इससे यह साफ हो जाता है कि उनका उद्देश्य शांति स्थापित करना नहीं, बल्कि अपनी रणनीतिक बढ़त हासिल करना है।
भारत अब सिर्फ ऑब्जर्वर नहीं, बल्कि एक मजबूत आवाज
जयशंकर के इस बयान से भारत की नई विदेश नीति की झलक मिलती है। उन्होंने कहा कि भारत अब केवल एक ऑब्जर्वर बनकर नहीं रहेगा, बल्कि अपनी राय स्पष्ट रूप से रखेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अब वैश्विक राजनीति का एजेंडा कुछ देशों द्वारा तय नहीं होगा, जिसे बाकी देश केवल मानते रहें। भारत अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी बात मजबूती से रखेगा और अपनी नीतियों के हिसाब से फैसले लेगा।
लोकतंत्र की रक्षा के नाम पर राजनीतिक खेल
जयशंकर ने कहा कि कई बार पश्चिमी देश लोकतंत्र की रक्षा के नाम पर उन देशों में हस्तक्षेप करते हैं, जहां इसकी जरूरत नहीं होती। लेकिन जहां सच में लोकतंत्र को खतरा होता है, वहां वे चुप रहते हैं। उन्होंने कहा कि अब यह दौर बदल चुका है और भारत इस बदलाव में एक अहम भूमिका निभाएगा।
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