यह घटना छत्तीसगढ़ में एक महिला अधिकारी, सविता त्रिवेदी, के खिलाफ करोड़ों रुपये के गबन के आरोप में निलंबन की कार्यवाही को लेकर है। वे विकास खंड स्त्रोत समन्वयक (मूल पद प्रधान पाठक) के रूप में कार्यरत थीं और उन पर 1.5 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता का आरोप था। कलेक्टर ने इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई करते हुए त्वरित जांच के आदेश दिए, जिसके बाद आरोप प्रमाणित हुए। इसके परिणामस्वरूप, कलेक्टर ने महिला अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की और उन्हें निलंबित कर दिया।
यह मामला इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि आरोपी अधिकारी अपने रिटायरमेंट के महज 6 दिन पहले इस घोटाले का शिकार हुईं। यह कदम सरकारी विभागों में वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को एक बार फिर उजागर करता है। कलेक्टर की सख्ती ने यह संदेश दिया कि कोई भी वित्तीय अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी, चाहे वह सेवानिवृत्त होने के कितने ही करीब क्यों न हो।
सविता त्रिवेदी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के उल्लंघन के कारण की गई, और उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।