वो ख्वाबों के दिन
( पिछले 21 अंकों में आपने पढ़ा : उस बंगले की पहली मंज़िल की खिड़की पर अचानक दीदार देने वाली उस नाज़ुक व बेहद खूबसूरत युवती के पीछे महीनों मेहनत करने के बाद , इशारों इशारों में उसके जवाब और आगे मस्ती से भरी फोन पर शुरू हो चुकी बातचीत ने एक खूबसूरत आकार लेना शुरू कर दिया था . प्यार की पहली मुलाकात पर शर्त के कारण मिले, दिल को सुकून और दर्द को उकेरते हुए , पहले प्रेम पत्र में दिल के जज़्बात और उसे जोखिम उठा कर सही हाथों में पहुंचा दिया . फिर यह सिलसिला चल पड़ रात में गरबा की आंख मिचोली तक . अब आगे गरबे के आगे का किस्सा )
एक प्रेम कहानी अधूरी सी ….
(पिछले रविवार से आगे की दास्तान – 22)
जब तुम मेरे सामने आई तो मैंने पूछा कि ये सामने की दोस्ती से ज़्यादा मुझे दूर की महबूबा ज़्यादा पसंद है . तुम भी हंसी और बोली , मुझे भी मलिका बनना पसंद है . कल से गरबा बंद हो जायेगा तो कल से ही . मुझे अपने अंदर अलौकिक खुशी का अनुभव होने लगा . गरबा खत्म होने के बाद एक दूसरे को मुस्कुराते हुए दूर से बाय करते हुए हम लौट गये अपने अपने आशियाने की तरफ . मैं लौटा , एक अद्भुत खुशी की अनुभूति के साथ .
भोली-भाली सूरत है और प्यारी सी मुस्कान,
चंचल सी हैं आँखें ,पर तू है थोड़ी सी शैतान,
मेरी नाज़ुक राजकुमारी , तुझमें बसती मेरी जान
कल की तरह गरबा में हिस्सा लेने के लिये भावेश , उसकी बड़ी बहनभावना , उसकी गर्ल फ्रैंड पारुल व उसकी सहेली एक उद्योगपति की बेटी , रचना , मुझे कॉलेज के गेट पर मिले . जब मैं कार पर बैठा तो वे सभी सहजता से हंसी मज़ाक़ करने लगे जैसे मैं उनकी टीम का सालों से सदस्य हूं. भावना मज़ाक़ करते हुए बोली , बंदा इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ता है , बेहद स्मार्ट है पर लगता है कि इसकी गर्ल फ्रैंड गुजराती नहीं है वर्ना हमारे साथ क्यों गरबा खेलने जाता ? मैं कुछ बोलता उससे पहले पारुल बोली , या हो सकता है कि इनकी गर्ल फ्रैंड और ये वहीं गरबे में अनजान से बनकर मज़े ले रहे हों ? मैं घबरा गया कि कहीं इसे मेरे व मलिका के बारे में पता तो नहीं चल गया ? इतने में रचना बोली , नहीं यह बेहद मेहनत से गरबा सीखकर ट्राई कर रहा है . इतनी मेहनत पहले दिन से करता तो अभी तक इसे जोड़ीदार मिल ही गई होती . मैंने कहा , आप लोगों जैसी सुंदरियों के पास जोड़ीदार हैं वर्ना मैं यहीं से ट्राई करना शुरू कर देता . सब ठहाका मार कर हंस पड़े .
आज गरबे में मैंने बहुत ज़्यादा अतिरिक्त सावधानी बरती . तुम्हारे सामने आया तो कहा, आज मेरी रसभरी मिठाई इमरती की तरह ऑरेंज दिख रही है . तुम भी हंसकर बोली , और तुम हीरो की तरह चिकने . फिर खुद शर्माते हुए बोली ,ध्रुव , सावधान , अन्नू पुलिस के मुखबिर की तरह हम पर नज़र रख रही है . मैंने कहा तो उसे बता दो . वह बोली , बता दूंगी पर आज नहीं . जब मैं अन्नू के सामने पहुंचा तो वह बोली , तुम मज़ेदार हो , दोस्ती के लिये परफेक्ट मटेरियल . मैं तपाक से बोले उठा और प्यार के लिये . उसने तुम्हारी तरफ आंख से इशारा करते हुए कहा , उसके लिये मेहनत करनी पड़ेगी . मेरे कान लाल हो गये और कुछ देर बाद गरबे से बाहर आकर, बस, छुपकर ताड़ने का काम करता रहा .
आज गरबे का आखरी दिन था सो महाआरती थी . मैं भी भावेश के ग्रुप में इस तरह से शामिल हो गया था जैसे कि मैं उन्हीं की टीम का सदस्य हूं और तुम लोग हमारे से बाज़ू कुछ दूर पर थे . मेरी नज़र रह रह कर तुम्हारी तरफ जा रही थी पर तुम केवल बीच बीच में इधर नज़र घुमाते हुए देखती थी , जैसे कि मैं कोई विशेष नहीं बल्कि सबमें शामिल हूं. इतने में देखता हूं कि अन्नू मेरी तरफ देख कर ज़ोर से मुस्कुरा रही है और कुछ इशारा कर रही है . मैंने आंखों से पूछा कि क्या बात है ? तो वह ज़ोर से हंस पड़ी और कुछ इस तरह से इशारा किया कि सब ठीक हो जायेगा , मैं हूं ना ! मैंने भी ज़ोर से हंसकर इशारा किया कि क्या मैं पास आऊं ? घबराकर उसने दूसरी तरफ मुंह फेर लिया और तुम्हारे कानों में कुछ कहा . तुम्हारे चेहरे पर एक शरारती मुस्कान आ गई और एक बार मेरी तरफ नज़र भर कर देखा और फिर अपने ग्रुप के साथ बाहर निकल गई . मैं भी भावेश व उसकी टीम के साथ बाहर निकल आया . इस बार उसने अपनी कार कॉलेज गेट की जगह होस्टल के पोर्च पर लाकर रोकी . मैं बाय करने के लिये उसके दरवाज़े की तरफ पहुंचा ही था कि वो कार से उतर गया और मुझसे गले मिलते हुए बोला , भैया आज आपके साथ बहुत मज़ा आया . आप मिलते रहा करिये . मैंने भी चुहल की . मैं यहां तुम लोगों को यहां बुला नहीं सकता इसलिये तुम लोगों को ही मुझे इनवाइट करना होगा . इतने में धड़ाक से पीछे का दरवाज़ा खुला और पारुल उतर गई . उसने मुझसे गर्मजोशी से हाथ मिलाकर कहा , हम ज़रूर मिलेंगे और फिर कार में भावेश के साथ सामने बैठ गई . पीछे बैठी दोनों सुंदरियों ने भी मीठी आवाज़ में मुझे बाय , गुड नाइट , सी यू , किया . वे चल पड़े और मैं सीटी बजाते हुए कॉरीडोर से अंदर घुस ही रहा था कि ऊपर से एक आवाज़ आई . आज तो तुम छा गए. एक ही दिन में कई हसीनाओं को होस्टल तक ले आए . तभी दूसरा साथी बोला , उनमें से हमारी भाभी कौन सी थी ? तीसरा साथी चिल्ला कर बोला , एक फूल , तीन मालिनें . मैंने बात करने की जगह अपने रूम की तरफ जाने में अपनी भलाई समझी .
उसको जितना अधिक सोचता हूं , उतना ही वह मुझे सताती है
तेरी याद मुझमें ऐसे समाती है कि कम्बख्त नींद रूठ जाती है
कमरे में अपने बिस्तर पर लेटकर तुम्हारी खूबसूरत अदाओं के , तुम्हारे चेहरे से झलकती खुशी और शरारत के साथ तुम्हारे लाजवाब डांस के बारे में सोचने पर मुझे लगा कि हम दोनों का, एक दूसरे से लगाव, इतना ज़्यादा हो रहा है कि हमारे बीच तयशुदा कंडीशन धराशाही हो जायेगी . फिर मैंने अपने आप से कहा कि मैं किसी भी हालत में शर्त के अनुसार अपनी मर्यादा से बाहर नहीं जाउंगा परंतु यदि ‘मलिका’ शर्तें बदलना चाहे तो मैं उसकी मर्ज़ी मान लूंगा . यह बात मुझे अंदर तक गुदगुदा दी .
इतनी ज़्यादा मिठास है उसके साथ में
जैसे शहद घुला हो उसकी हर बात में
( अगले हफ्ते आगे का किस्सा )
इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक ,
दैनिक पूरब टाइम्स