वो ख्वाबों के दिन
( पिछले 19 अंकों में आपने पढ़ा : उस बंगले की पहली मंज़िल की खिड़की पर अचानक दीदार देने वाली उस नाज़ुक व बेहद खूबसूरत युवती के पीछे महीनों मेहनत करने के बाद , इशारों इशारों में उसके जवाब और आगे मस्ती से भरी फोन पर शुरू हो चुकी बातचीत ने एक खूबसूरत आकार लेना शुरू कर दिया था . प्यार की पहली मुलाकात पर शर्त के कारण मिले, दिल को सुकून और दर्द को उकेरते हुए , पहले प्रेम पत्र में दिल के जज़्बात और उसे जोखिम उठा कर सही हाथों में पहुंचा दिया . फिर यह सिलसिला चल पड़ रात में गरबा की आंख मिचोली तक . अब आगे गरबे का का किस्सा )
एक प्रेम कहानी अधूरी सी ….
(पिछले रविवार से आगे की दास्तान – 20)
मेरे करीब आकर मुस्कुराती थी और आंख के इशारे से गरबे में शामिल होने का जैसे निमंत्रण देती थी . मेरे दोस्तों का पूरा ध्यान मुझ पर आकर अटकने लगा था , इससे पहले कोई भी किसी तरह का कमेंट करता मैं खिसक लिया . मुझे अब अगले दिनों के लिये गरबे के ,पास का, जुगाड़ भी करना था जोकि होस्टल वालों को मिलना बेहद मुश्किल होता था . गुजराती परिवारों के अलावा केवल कमेटी के पहचान वाले बाहरी परिवारों को मिलता था . अगली सुबह मैं कॉलेज बंक कर अपनी आंटी के यहां गया . उनसे उस दिन प्रोफेसर के नहीं आने का बताया . वे बहुत ज़्यादा खुश हुई . वे हमेशा , हर छुट्टी , हर त्यौहार में अपने घर आने के लिये कहती थीं. उनके बच्चों की भी छुट्टी चल रही थी . वे भी मुझे देखकर बहुत खुश हुए और मुझसे चिपक से गये . वे ज़िद करने लगे कि भैया , दो दिन यहीं रुक जाओ . विडियो गेम खेलेंगे , वीसीआर में पिक्चर देखेंगे और मज़े करेंगे . मैं बोला , अगले हफ्ते ज़रूर रुकुंगा . अंकल ऑफिस के लिये निकले तो खाना खाने के बाद मैंने आंटी से कहा , मुझे रेस कोर्स के गरबे में जाना है , उसके लिये अंकल या आप किसी को बोल देती तो काम हो जाता. वे बोली , रुक और बाज़ू बंगले की तरफ ज़ोर से आवाज़ दी , “देवेश भाई” तो वहां से उन अंकल का बेटा तुरंत आ गया . मैं और वह पहले से परिचित थे . वो मुझको देख कर बहुत खुश हुआ . आंटी ने उसे बताया तो वह बोला , भैया , आप मेरे साथ ही चलिये ना . पापा तो खुद कमिटी में हैं. मैंने कहा कि मैं तो होस्टल चला जाऊंगा तो वह बोला , आप बताइये , मैं आपको लेने आ जाउंगा . मैंने कहा , ठीक है . फिर आंटी के यहां से विदा ली .
रात को मैं पूरी तरह से तैयार होकर , कॉलेज के गेट के पास खड़ा था . कई दोस्त निकले . एक रुक कर मुझ पर कमेंट करने लगा कि आज तो परवाना ही शमा को हमारे कॉलेज गेट पर खींच कर लायेगा . इतने में देवेश मुझे अपनी कार से लेने आया . सामने की सीट पर मैं बैठा देखा पीछे की सीट पर , बहुत तैयार होकर बैठी , 3 लड़कियां हैं . उसने मेरा परिचय कराया . एक उसकी बड़ी बहन बेहद मॉडर्न थी व दो अन्य लड़कियां थीं . जिनमें से एक के पिता इंदौर के बहुत बड़े उद्योगपति थे और दूसरी बेहद खूबसूरत पर शर्मीली . गरबा तक पहुंचते तक हमारी थोड़ी बहुत पहचान हो गई . मैंने बताया मुझे गरबा करना आता है पर हर तरह का नहीं . अंदर पहुंचे तो एक बेहद रंग बिरंगे माहौल में पहुंच गये . एक से एक सुंदर कपड़े व शृंगार के साथ लोग गरबे की थाप पर घेरा बनाकर नाच रहे थे . बहुत से बाहर खड़े होकर देख रहे थे तो बहुत से घेरे में शामिल होते जा रहे थे . बेहतरीन लाइंटिंग और बेहतरीन नज़ारा देख कर मेरा मन गदगद हो गया . भावेश मुझसे बोला , हम आज जल्दी आ गए हैं . इन लड़कियों का ग्रुप इकट्ठा होने वाला था . आप मेरे साथ आइये , यदि कोई स्टेप नहीं आता है तो आप मेरे साथ जल्दी सीख जायेंगे . मैंने चारों तरफ नज़र दौड़ाई तो मुझे मलिका का ग्रुप नहीं दिखा . मैं भावेश के साथ गरबा खेलने उतर गया . उसने मुझे कई बातें बताई और दो -तीन राउंड के अंदर मैं अच्छी तरह से नाचने लगा . अब भावेश के साथ आई लड़कियों का ग्रुप भी गरबे में आ गया था . उनमें से उस उद्योगपति की लड़की मुझे छेड़ते हुए बोली , आप इतना अच्छा गरबा कर रहे हैं , जानबूझ कर हमारे सामने निरीह दिखने की कोशिश कर रहे थे . मैं हंसकर बोला, डर रहा था कि परियों के सामने जोकर नहीं लगूं . उन्मुक्त हंसी हंसते हुए वह बोली , आप खुद खूबसूरत ‘परा’ दिख रहे हैं जिसका मैं अनेकों परियों से इंट्रोडक्शन करवा दूंगी . वैसे मेरा एक बॉय फ्रैंड है सो इधर कोई स्कोप नहीं है . मैं भी हंसकर बोला , सेम हियर . भावेश और उसके साथी मुझसे इतनी सहजता से पेश आ रहे थे जैसे मैं उनकी टीम में वर्षों से हूं . थक कर मैं बाहर आकर खड़ा हो गया .
ये कह कह कर हम अपने दिल को समझा रहे हैं
वो अभी निकल चुके हैं , वो अभी आ रहे हैं
इतने में देखता हूं कि तुम्हारी 5 लोगों की टीम अंदर आ रही है . मुझे देख कर तुम खिल उठी पर तुमसे ज़्यादा अन्नू खुश दिखी . वह तुम्हें अपने साथ लगभग खींचते हुए मेरे पास आई और बोली , तो जनाब कब से आ गये थे ? मैं बोला कि अब तो थक कर खड़ा हूं . वह बोली , इसकी जिद के कारण कुछ देर वल्लभ नगर गरबा कर के यहां आये हैं . मैंने कहा कि अब मैं वल्लभ नगर अपनी हाज़री देने जा रहा हूं . मेरी सोच के विपरीत इस बार तुम तपाक से बोली , वहां तो बड़े शेर बनकर नज़रें गड़ाये रखते थे . यहां हमारे साथ गरबा खेलने से डर रहे हैं . चल , अन्नू . तेरी पहचान काम नहीं आयेगी . तुम्हारी आंखों में शरारत थी . अन्नू मुझसे बोली, एक गरबा तो खेल लेते . क्या वहां पर आपकी गर्ल फ्रैंड है ? मेरी आंखें तुमसे मिली और मैंने देखा कि तुम शर्म से लाल हो गई . मैंने बेहद शरारती अंदाज़ में कहा , कोशिश में तो लगा था . पता नहीं अब वह वहां रुकी भी होगी या नहीं ? तुम सब हंस दिये . और सभी गरबा खेलने फिर से एरिना में उतर पड़े . मैंने देखा कि तुम लोग भावेश , उसकी बहन व टीम से सहजता से बात करते हुए नाच रहे थे जैसे कि तुम लोगों की पुरानी पहचान है . मेरे सामने आकर तुम बोली , आज मैं बहुत खुश हूं . मैं बोला , मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुंच गया हूं . तुम बोली , तो स्वर्ग के मज़े लीजिये . मैं बोला , अप्सरा आदेश देकर तो देखे . तुम शरारती अंदाज़ में बोली , धत . फिर भावेश के साथ आई , दूसरी सुंदर लड़की पारुल से मुस्कुराते हुए खेलने लगा तो बोली आप वाकई अच्छे डांसर हैं . मैंने कहा पर तुमसे अच्छा नहीं . वह बोली , ऐसा नहीं लगता आपसे पहली बार मिले हैं . मैं बोला , सेम हियर . वह हंसी और आगे बढ़ गई . कुछ देर बाद अन्नू , सामने आई तो बोली , तुम दोनों के बीच की बर्फ तो पिघली . मैंने पूछा , क्या मतलब ? वह बोली , आज पहली बार तुम दोनों को हंसकर बातें करते देखा . मैं और कुछ पूछता तब तक हम दोनो आगे निकल गए .
झुंझलाये हैं , शर्माए हैं, फिर मुस्कुराये हैं
जाने किस अदा से वो हमारे करीब आये हैं
जब तुम आई तो मैंने तुम्हें लाल ड्रेस में देखकर कहा कि आज तो हमारी मिठाई एकदम लाल है . तुम शर्मा कर बोली, धत . मैं हंस पड़ा और तुम बोली, अब ज़्यादा मत मुस्कुराओ , अन्नू चिढ़ा रही है . अब फिर से पारुल के पास पहुंचा तो वो बोली , आप यदि कल भी गरबा में आयेंगे तो बहुत ही अच्छा सीख जायेंगे . मैंने कहा कि इतने से किसी को इम्प्रेस नहीं कर पाउंगा क्या ? वह हंसकर बोली , मैं भावेश की गर्ल फ्रैंड हूं . मैंने भी हंसते हुए कहा और मैं उसका बड़ा भाई . अन्नू के पास पहुंच कर मैंने पूछा , तुम क्या कह रही थी . तो अन्नू बोली , मेरी दोस्त , कभी तुम्हारी बहुत तारीफ करती है तो कभी तुम्हारे बारे में सुनना ही नहीं चाहती , बीच में ही रोक देती है . और तुम्हारे सामने एकदम चुप्पी साध लेती है . मैंने सोचा कि तुमसे खुलकर बात करे तो… वह फिर आगे निकल गई . मैंने तुमसे पूछा कि ये माजरा क्या है ? तुम हंसकर बोली , अन्नू कहती है कि तुम दोस्ती के लिये परफेक्ट हो इसलिये या तो मुझे दोस्ती करने कहती है या खुद तुमसे दोस्ती कर लेगी . मैंने कहा लेकिन उसे कैसे बताऊं कि मैं तो ऑलरेडी बरबाद हो चुका हू . इस बार तुम हंसकर बोली , धत .
( अगले हफ्ते आगे का किस्सा )
इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक ,
दैनिक पूरब टाइम्स