fbpx

Total Users- 609,457

Total Users- 609,457

Wednesday, January 22, 2025

वो ख़्वाबों के दिन (भाग – 17)

वो ख्वाबों के दिन 

( पिछले 16 अंकों में आपने पढ़ा :  उस बंगले की पहली मंज़िल की खिड़की पर अचानक दीदार देने वाली उस नाज़ुक व बेहद खूबसूरत युवती के पीछे महीनों मेहनत करने के बाद , इशारों इशारों में उसके जवाब और आगे मस्ती से भरी फोन पर शुरू हो चुकी बातचीत ने एक खूबसूरत आकार लेना शुरू कर दिया . आगे पढें ,  प्यार की पहली मुलाकात पर शर्त के कारण मिले,  दिल को सुकून और दर्द को उकेरते हुए , पहले प्रेम पत्र में दिल के जज़्बात और उसे जोखिम उठा कर सही हाथों में देने के आगे का किस्सा )

एक प्रेम कहानी अधूरी सी ….

(पिछले रविवार से आगे की दास्तान – 17 )

मैं बोला, तो फिर रेस लगाते हैं . सचमुच , सब  दौड़ने लगे . मैं जानबूझकर फिसल गया , तुम तुरंत मेरे पास आई और अपना हाथ दिया . और मैंने अपना काम कर दिया . उस प्रेम पत्र  को तुम्हारे हाथ में दे दिया . घबराकर तुमने अपनी मुट्ठी बंद कर ली . 

मोहब्बत का भी खेल नाज़ुक है कितना
नज़र मिल गई और आप जीते मैं हारा

उसके बाद का सुबह का सफर ना मुझे याद रहा और ना ही तुम्हें . ऊपरी तौर पर एक दूसरे से बिलकुल अनजान से बनते हुए,  हम –तुम , एक दूसरे के साथ को , दिल से भरपूर महसूस कर रहे थे . तुम्हारी जो सहेली मेरे एक रिश्तेदार के यहां मुझसे पहले रूबरू हो चुकी थी ,  उसने मुझसे बातचीत ज़ारी रखकर निकटता दिखानी शुरू कर दी थी . मैं भोला भंडारी की तरह उसकी बातों में जानबूझकर रुचि दिखा रहा था और तुम मन ही मन सब कुछ समझ कर हंस रही थी . उसने मुझसे पूछा कि क्या आप रोज़ सुबह इस रास्ते पर घूमने आते हैं ? मैं झट से बोल पड़ा , आज अचानक ही इस तरफ निकल आया वर्ना रोज़ राणी सती मंदिर की तरफ से घूमने के लिये निकलता हूं . फिर घबराकर खुद को सुधारते बोला , वह भी इतना जल्दी नहीं . वह मुस्कुराते हुए बोली , तो फिर कल से इसी वक़्त इसी रास्ते पर घूमने चला करेंगे . तो मैं तुरंत बोल उठा , ऐसा मुमकिन नहीं होगा क्योंकि मैं अपने होस्टल के दोस्तों के साथ ही निकल पाता हूं . अब छेड़ने की बारी तुम्हारी थी , तुम भी झट से मज़े लेते हुए बोली , छोड़ ना अन्नू , बंदा बहुत अकड़ू लगता है . मैं भी झूठी नाराज़गी दिखाते हुए बोला , जैसे कि तुम मेरे लिये अपनी सहेलियों को छोड़ दोगी ? यह सुनकर सब हंस पड़े .

मेरी खुशियों का खजाना है तू, 
मोहब्बत का अलग ज़माना है तू, 
तू जानता है सब कुछ फिर भी,
क्यों बनता बहुत सयाना है तू .

अलग होते वक़्त , अपने आप को मॉडर्न दिखाने के लिये तुम्हारी दोस्तों से मैंने हाथ मिलाया और तुम्हें दूर से ही नमस्ते कर दिया . मुझे ऐसा लगा कि  अपनी सहेलियों द्वारा मुझको इतना भाव देने  की बात से तुम अन्दर ही अन्दर खुश  हो रही थी कि तुम्हारी चॉइस  अच्छी है  क्योंकि  जब सब सहेलियां आगे निकल गईं तब तुम जूते की लेस ठीक करने के बहाने कुछ सेकंड के लिये रुकी और हंसते हुए बोली , मेरी चॉइस सचमुच बहुत ‘ नालायक’ है . उसके जाने के बाद मैं उस दिन घंटों तक उस मीठी गाली के नशे में झूमता रहा .

दोपहर 3 बजे एक ही रिंग पर तुमने फोन उठा लिया और नशीले अंदाज़ में बोली , मुझको यारा माफ करना , मैं नशे में हूं . मैंने पूछा , सचमुच ? अब उन्मुक्त हंसी के साथ जवाब मिला, जब ऐसे नशीले यार से प्रेम के नशे में डूबा , लव लेटर , अनेकों बार पढ़ लिया तो नशा तो होगा ही . मैं फिर से पूछ उठा , सचमुच ? अब उसने मेरी तारीफों के पुल बांधने शुरू कर दिये . बोली –

हम तो समझते थे कि मुझमें है एक अदा
देखी तेरी अदा तो मेरे होश उड़ गये

आपके जाने के बाद , मेरी सहेलियां  पूरे रास्ते आपकी ही बातें करती रहीं और मैं मन ही मन मुस्कुराते रही . वे तो आपकी हिम्मत और मज़ेदार अंदाज़ पर फिदा हो गई हैं . मैंने पूछा कि और , तुम ? वो बोली , जान तो ले चुके हो, क्या अब  सांसो का हिसाब भी लोगे? अब फिर से गम्भीर होते हुए बोली, देखिये , आमने सामने हम एक दूसरे से अनजान बने रहेंगे . यदि ज़रूरी हुआ तो दोस्त से ज़्यादा कुछ नहीं रहेंगे . उस लिमिट को नहीं तोड़ना है . मैंने पूछा अचानक यह बात कैसे आ गई ? अब तुम बोली, वही तो . नवरात्रि की पंचमी  हो चुकी है . आज से रात को  गरबा खेलने जायेंगे . रात देर होने के कारण व मेरी कुछ सहेलियां मेरे घर पर रुकने के कारण, हमारे सुबह के दीदार बंद हो जायेंगे और शायद टेलीफोन पर बातचीत भी . मैं यह नहीं चाहती कि इस छिपकर प्यार करने किए रोमांच में कोई कमी आये . मैंने कहा , फिर तो रोज़ तुम्हारी अदाएं देखने , गरबा देखने आना पड़ेगा . वह फिर से हंसी , बोली , इसीलिये तो बता रही हूं , मेरी हर अदा आपके लिये रहेंगी पर नज़रें नहीं मिला पाउंगी . मैंने कहा , कौन कमबख्त तुमसे नज़रें मिलाना चाहता है , मैं तो तुम्हारी अदाओं के सैलाब में बरबाद हो जाना चाहता हूं . बस , एक बार मुझे फिर से गाली के साथ संबोधित करो . तुम फिर ज़ोर से हंसी और बोली, दुष्ट दिलचोर आशिक . और लाइन कट गई . अब मुझमे इश्क का सुरूर छाने लगा . आज रात से हसीन दिलरुबा का कई घंटे दीदार का मौका जो मिलना था .

( अगले हफ्ते आगे का किस्सा ) 

इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक ,

दैनिक पूरब टाइम्स

More Topics

आत्माओं का शहर: जहां जिंदा इंसानों से ज्यादा लाशें दफन हैं

कैलिफोर्निया का कॉलमा शहर एक अनोखी और रहस्यमय जगह...

WHO: विश्व स्वास्थ्य संगठन की सम्पूर्ण जानकारी

WHO (World Health Organization), जिसे हिंदी में विश्व स्वास्थ्य...

जानिए दुनिया का सबसे बड़ा राज्य और उसकी अनूठी विशेषताएँ

दुनिया का सबसे बड़ा प्रांत या राज्य सख़ा (Yakutia)...

Follow us on Whatsapp

Stay informed with the latest news! Follow our WhatsApp channel to get instant updates directly on your phone.

इसे भी पढ़े