गिरौदपुरी धाम छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है, जो बलौदाबाजार से 40 किमी और रायपुर से 125 किमी की दूरी पर स्थित है। यह स्थान सतनाम पंथ के अनुयायियों और बाबा गुरु घासीदास की तपोभूमि के रूप में जाना जाता है। गिरौदपुरी में निर्मित दुनिया का सबसे ऊंचा जैतखाम इसकी खास पहचान है।
जैतखाम: सत्य का प्रतीक
गिरौदपुरी धाम में बने जैतखाम को सत्य, एकता, और भाईचारे का प्रतीक माना जाता है। 243 फीट ऊंचा यह जैतखाम दिल्ली की कुतुबमीनार से भी अधिक ऊंचा है। जैतखाम के शीर्ष से प्रकृति का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। इसमें लिफ्ट और स्पायरल सीढ़ी जैसी आधुनिक सुविधाएं हैं, और सात बालकनियां दर्शकों को अद्भुत अनुभव प्रदान करती हैं।
बाबा गुरु घासीदास की जन्मस्थली
सतनाम पंथ के संस्थापक बाबा गुरु घासीदास का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने समाज में फैली ऊंच-नीच, छुआछूत जैसी कुरीतियों को समाप्त करने का संदेश दिया। उनकी सत्य के प्रति अटूट आस्था ने लाखों लोगों को सतनाम पंथ से जोड़ दिया। गुरु घासीदास के ‘सप्त सिद्धांत’ सतनाम पंथ के मार्गदर्शक हैं।
तपोभूमि और चरणकुंड
गिरौदपुरी गांव से करीब 2 किमी दूर एक पहाड़ी पर स्थित तपोभूमि वह स्थान है, जहां बाबा ने कठिन तपस्या कर आत्मज्ञान प्राप्त किया। तपोभूमि के पास स्थित चरणकुंड वह स्थान है, जहां बाबा ने तपस्या के बाद अपने चरण धोए थे।
अमृतकुंड और चरणचिन्ह स्थल
चरणकुंड से आगे स्थित अमृतकुंड बाबा की अलौकिक शक्ति का प्रतीक है। कहा जाता है कि यहां का जल कभी खराब नहीं होता और इसे पीने से कष्ट दूर हो जाते हैं। वहीं जंगल के बीच स्थित छातापहाड़ वह स्थान है, जहां गुरु घासीदास ने ध्यान और साधना की थी।
सफुरामठ और तालाब
गिरौदपुरी में सफुरामठ एक ऐतिहासिक स्थल है, जो बाबा की पत्नी सफुरा को समर्पित है। तालाब के किनारे स्थित इस मठ से सतनाम पंथ के अनुयायियों का भावनात्मक जुड़ाव है।
फाल्गुन पंचमी पर मेला
हर साल फाल्गुन पंचमी के अवसर पर तीन दिवसीय मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी इस मेले का हिस्सा होते हैं।
गिरौदपुरी पहुंचने का मार्ग
- हवाई मार्ग: रायपुर हवाई अड्डा सबसे नजदीक है।
- रेल मार्ग: भाटापारा और बिलासपुर नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं।
- सड़क मार्ग: छत्तीसगढ़ राज्य देश के बड़े शहरों जैसे दिल्ली, पुणे, बेंगलुरु और मुंबई से सड़क मार्ग से जुड़ा है।
गिरौदपुरी धाम न केवल सतनाम पंथ का धार्मिक केंद्र है, बल्कि इसकी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और आध्यात्मिक शांति पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।