नई दिल्ली, 21 फरवरी: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन मलिक को 7 मार्च 2025 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए तिहाड़ जेल से जम्मू कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। अदालत ने साफ किया कि जम्मू की अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा पूरी तरह से उपलब्ध है, इसलिए अभियोजन की प्रक्रिया वर्चुअल माध्यम से ही पूरी की जाएगी।
CBI ने मुकदमे को दिल्ली शिफ्ट करने की मांग की
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि 1989 में मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण और 1990 में श्रीनगर में वायुसेना कर्मियों पर हमले के मामलों को जम्मू से दिल्ली ट्रांसफर किया जाए। CBI ने तर्क दिया कि यासीन मलिक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है और उसे तिहाड़ जेल से बाहर लाना सुरक्षा दृष्टि से उचित नहीं होगा।
क्या है यासीन मलिक का मामला?
यासीन मलिक पर दो बड़े मामलों में आरोप हैं:
- 8 दिसंबर 1989: मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण में मुख्य भूमिका। अपहरणकर्ताओं ने बदले में पांच आतंकियों की रिहाई की मांग की थी, जिसे सरकार ने पूरा किया।
- 25 जनवरी 1990: श्रीनगर में वायुसेना कर्मियों पर हमला, जिसमें चार जवान शहीद हुए थे। मलिक इस मामले में भी मुख्य आरोपी है और आजन्म कारावास की सजा काट रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि जम्मू हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू की अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा सुचारू रूप से काम कर रही है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि मलिक को तिहाड़ जेल से बाहर नहीं लाया जाएगा और मुकदमे की पूरी सुनवाई वर्चुअल होगी।
क्या होगा आगे?
यासीन मलिक की अगली वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी 7 मार्च 2025 को होगी। अब सभी की नजरें इस केस की सुनवाई और फैसले पर टिकी हैं।