मधुर वचन
मुस्कुराएं ,चुनौतियों की आंखों में आंखें डालकर !
महाभारत की कहानी है , एक बार बलराम और श्रीकृष्ण जंगल से जा रहे थे . सूरज ढल गया और रात हो गई . उस समय आज की तरह कोई मोटेल या जंगल रिसोर्ट तो होते नहीं थे तो श्रीकृष्ण ने प्रस्ताव रखा कि हममें से एक घूमकर पहरा देगा और दूसरा उस समय नींद लेगा . जब दूसरे को नींद लगेगी तो वह पहले को जगा देगा. बलराम ने पहले पहरा देने की बात कही और श्रीकृष्ण नींद लेने लगे . बलराम अभी पहरा देते घूम ही रहे थे कि कुछ दूर उन्हें एक परछाई दिखी . वे संशय के साथ वहां गए तो देखा कि एक दैत्य खड़ा है . वे घबराकर चिल्ला पड़े, उन्होंने देखा कि दैत्य और बड़ा हो गया और वे छोटे हो गए हैं. वे फिर चिल्ला कर कृष्ण की तरफ दौड़े , उन्होंने देखा कि दैत्य और बड़ा हो गया और वे और छोटे . वे ज़ोर से चिल्लाये , कृष्ण और उन्हें छूते हुए बेहोश हो गए . कृष्ण उठे , उन्होंने समझा कि बलराम को नींद आ गयी है . सो वे पहरेदारी करने लगे. उन्होंने भी दूर से एक साया देखा तो तलवार निकाल कर वहां ज़ोर से पूछा , कौन है और क्या चाहते हो ? उन्होंने देखा कि दैत्य है और उनके चिल्लाते ही वह डर गया . इसके बाद उनका आकार बड़ा हो गया और दैत्य छोटा हो गया . दैत्य डर गया पर उन्हें डराने ज़ोर से चिल्लाया , निडर कृष्ण ने तलवार हवा में घुमाई . दैत्य और छोटा हो गया . वे और बड़े हो गए. दूसरे दिन सुबह हुई . बलराम उठे, दोनों भाई मंज़िल की ओर बढ़ चले . बलराम ने कहा कि कृष्ण , कल जब तुम सो रहे थे तब एक दैत्य आया था . कृष्ण ने अपनी अंटी से निकालकर एक छोटे से दैत्य को दिखाया और कहा कि यही आया था ना ! कृष्ण ने बलराम को सहजता से कहा , जब आप जीवन में परेशानी का सामना करने से भागते हैं तो वह बड़ी हो जाती है और आपके ऊपर नियंत्रण कर लेती है . परन्तु जब आप उसका डटकर सामना करते हैं तो परेशानी छोटी हो जाती है और आप उसपर नियंत्रण कर लेते हैं . कितनी अद्भुत बात है यह ? जिस दैत्य की बात हो रही है वह और कोई नहीं बल्कि हमारे जीवन में आने वाली चुनौतियां हैं . कृष्ण जी हमें यह सन्देश देना चाहते हैं कि जिस बात का सामना करने से हम बुचकते हैं वे बातें बड़ी होकर हमें डराने लगती हैं . जबकि यदि हम उन चुनौतियों का सामना करें तो वे बहुत छोटी हो जाती हैं . इसलिए यदि देखेंगे तो जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ, चुनौतियां हमें ख़त्म करने की लिए नहीं होती बल्कि उनका सामना करने से हम तपकर सोने की तरह और चमकने लगते हैं . यह कहानी मुझे बेहद प्रेरणा देती है कि परेशानियों का हिम्मत से मुक़ाबला करने से वह बेहद छोटी हो जाती है और हमें अनुभवी और बड़ा बनाती हैं. परेशानियां आपके सामने बौनी हो जाएं क्योंकि उन्हें आपने चुनौती की तरह स्वीकार किया है . इसी सद्भावना के साथ यह अंक समर्पित .
इंजी . मधुर चितलांग्या,प्रधान संपादक, दैनिक पूरब टाइम्स
