पनामा सरकार ने बुधवार को विभिन्न देशों के 98 निर्वासित प्रवासियों को डेरियन प्रांत में स्थित एक अस्थायी शिविर में भेज दिया। ये वे प्रवासी हैं जिन्होंने स्वेच्छा से अपने मूल देशों में लौटने से इनकार कर दिया था। अधिकारी के अनुसार, इन्हें तब तक शिविर में ही रखा जाएगा जब तक कि किसी तीसरे देश द्वारा इन्हें स्वीकार नहीं किया जाता।
ये निर्वासित प्रवासी अमेरिका से निकाले गए 299 प्रवासियों के समूह का हिस्सा हैं, जिन्हें पनामा भेजा गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा निर्वासन प्रक्रिया को तेज करने की कोशिश के तहत यह कदम उठाया गया है।
सुरक्षा के बीच होटल में रखे गए प्रवासी
अन्य निर्वासित प्रवासियों को पनामा सिटी के एक होटल में रखा गया है, जहां पुलिस की कड़ी निगरानी के बीच वे अपने देशों में लौटने की प्रक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, पनामा सरकार का कहना है कि वे हिरासत में नहीं हैं, लेकिन उन्हें होटल से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई है।
इस बीच, एक चीनी महिला प्रवासी होटल से भाग गई थी, लेकिन अधिकारियों ने उसे उत्तरी पनामा-कोस्टा रिका सीमा के पास से फिर से पकड़ लिया। सुरक्षा मंत्री फ्रैंक अब्रेगो ने इस घटना के लिए “मानव तस्करों” को जिम्मेदार ठहराया।
डेरियन गैप में भेजे जाएंगे बाकी प्रवासी
पनामा सरकार के अनुसार, निर्वासितों में अधिकांश एशियाई देशों से हैं। अमेरिकी प्रशासन के लिए उन्हें सीधे उनके देशों में निर्वासित करना कठिन हो रहा है, इसलिए पनामा को एक पारगमन बिंदु के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
सुरक्षा मंत्री अब्रेगो ने बताया कि 171 प्रवासी स्वेच्छा से अपने देशों में लौटने को तैयार हैं, जबकि अन्य को डेरियन गैप के पास स्थित अस्थायी सुविधा में भेजा जाएगा। यह क्षेत्र दक्षिण अमेरिका से अमेरिकी सीमा तक जाने वाले प्रवासियों के लिए प्रमुख मार्ग रहा है।
इस घटनाक्रम के चलते अमेरिका की निर्वासन नीति और पनामा की भूमिका को लेकर नए सवाल खड़े हो गए हैं।