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Wednesday, March 26, 2025
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ट्रंप ने भारत में चुनावी फंडिंग पर उठाए सवाल, मस्क के DOGE ने 182 करोड़ की सहायता की रद्द

वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में चुनावी प्रक्रिया को समर्थन देने के लिए दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने बुधवार (19 फरवरी) को मीडिया से बातचीत में कहा, “हम भारत को 21 मिलियन डॉलर (182 करोड़ रुपए) क्यों दे रहे हैं? उनके पास पहले से ही बहुत पैसा है। भारत दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में से एक है।”

ट्रंप की यह टिप्पणी तब आई जब उनके सहयोगी इलॉन मस्क के नेतृत्व वाले डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DoGE) ने भारत में मतदान बढ़ाने के लिए दी जाने वाली 182 करोड़ की फंडिंग रद्द करने का फैसला लिया।

अब भारत को नहीं मिलेगी अमेरिकी सहायता

अमेरिका भारत में चुनावों के दौरान मतदाता भागीदारी बढ़ाने के लिए करीब 21 मिलियन डॉलर की सहायता देता था, लेकिन अब यह फंडिंग पूरी तरह बंद कर दी गई है। ट्रंप ने कहा, “मैं भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन हमें यह पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है।”

15 प्रोग्राम्स की फंडिंग बंद, बांग्लादेश भी प्रभावित

DoGE ने केवल भारत ही नहीं, बल्कि बांग्लादेश समेत कई देशों को दी जाने वाली सहायता भी रोक दी है। इस फैसले के तहत 15 अंतरराष्ट्रीय प्रोग्राम्स की फंडिंग बंद कर दी गई, जिनमें बांग्लादेश को मिलने वाली 251 करोड़ रुपए की सहायता भी शामिल है।

क्या है DoGE?

नवंबर में दोबारा राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने DoGE (Department of Government Efficiency) की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य अमेरिकी सरकार के खर्च में कटौती करना है। इस विभाग की कमान इलॉन मस्क को सौंपी गई थी, जबकि शुरुआत में भारतवंशी बिजनेसमैन विवेक रामास्वामी को भी इसमें शामिल किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें हटा दिया गया।

ट्रंप का टैरिफ को लेकर भारत पर निशाना

ट्रंप पहले भी भारत के ऊंचे टैरिफ को लेकर आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि “भारत उन देशों में से एक है, जो सबसे ज्यादा टैरिफ लगाते हैं, जिससे अमेरिकी कंपनियों को मुश्किल होती है।”

क्या भारत को फर्क पड़ेगा?

अमेरिकी सहायता बंद होने से भारत की चुनाव प्रक्रिया पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि भारत का चुनाव आयोग और सरकार पूरी तरह स्वतंत्र रूप से चुनाव आयोजित करते हैं। हालांकि, इस फैसले से भारत-अमेरिका के कूटनीतिक रिश्तों पर जरूर असर पड़ सकता है।

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