अमिताभ बच्चन के प्रति देशभर में दीवानगी है, लेकिन जैसलमेर में उन्हें भगवान की तरह पूजा जाता है। इसकी खास वजह है 1980 के दशक में उनका वहां आना और उस दौरान हुई एक चमत्कारी घटना।
कैसे बना जैसलमेर में अमिताभ बच्चन का मंदिर जैसा माहौल?
यह घटना 1982 की है, जब अमिताभ बच्चन जैसलमेर में फिल्म ‘सूर्यवंशम’ (या कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार ‘मर्द’) की शूटिंग के लिए पहुंचे थे। उस समय जैसलमेर भीषण सूखे से जूझ रहा था, लंबे समय से बारिश नहीं हुई थी। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि जैसे ही अमिताभ वहां पहुंचे, अचानक बारिश होने लगी और सूखा खत्म हो गया। इस घटना ने लोगों के बीच यह विश्वास पैदा कर दिया कि अमिताभ बच्चन का आना उनके लिए शुभ रहा।
हजारों लोग छूना चाहते थे उनके पांव
जब यह खबर फैली कि अमिताभ बच्चन जैसलमेर आए हैं, तो उन्हें देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। कहा जाता है कि लगभग 40-50 हजार लोग केवल उनके दर्शन करने के लिए पहुंच गए थे। लोग उनके चरण स्पर्श करना चाहते थे और उन्हें भगवान का दर्जा देने लगे।
अब भी है श्रद्धा का भाव
आज भी जैसलमेर में कई लोग अमिताभ बच्चन को देवतुल्य मानते हैं। कुछ जगहों पर उनकी तस्वीरों को पूजने की परंपरा है।
यह घटना दिखाती है कि भारत में सिनेमा केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह लोगों की आस्था और संस्कृति का भी अहम हिस्सा बन चुका है।