कुबेर : धन के देवता और यक्षों के राजा

कुबेर, जो धन और समृद्धि के देवता हैं, यक्षों के राजा के रूप में भी जाने जाते हैं। उनका निवास स्थान अलकापुरी है, जो कैलाश पर्वत के पास स्थित है। कुबेर का वर्णन श्वेत और तुंडिल शरीर वाले देवता के रूप में किया जाता है, जिनके आठ दांत और तीन पैर हैं। वे गदा धारण करते हैं और अपनी सत्तर योजन विस्तृत सभा में विराजमान रहते हैं।
कुबेर का पौराणिक इतिहास
कुबेर का इतिहास काफी दिलचस्प है। वे रावण के सौतेले भाई माने जाते हैं और इसलिए राक्षस योनि के रूप में भी जाने जाते हैं। लेकिन पौराणिक मान्यता के अनुसार, किसी भी जीव की पहचान उनके कर्मों से होती है, इसलिए कुबेर को देव योनि का ही माना जाता है।
पूर्वजन्म की कहानी
कुबेर की पूर्वजन्म की कहानी बताती है कि वे एक चोर थे, जो मंदिरों से दान पेटी और अन्य कीमती चीजें चुराते थे। एक बार, शिव मंदिर में चोरी करने के दौरान, उन्होंने दीया जलाया ताकि सामान खोज सकें। बार-बार दीया बुझने पर भी उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार उसे जलाते रहे। यह देखकर भगवान शिव प्रसन्न होकर प्रकट हुए और कुबेर से कहा ” तुम धन की कमी के कारण चोरी करते हो लेकिन फिर भी तुमने मेरे प्रति भक्ति का दीपक जलाए रखा इसलिए तुम्हारी धन की कमी दूर होगी।”
कुबेर ने भोलेपन से कहा, “आप तो देवता हैं, आप मेरी मजबूरी नहीं समझ सकते। इतने से धन से मेरा कुछ नहीं होगा। जीवन बहुत कठिन है।” कुबेर की बात सुनकर जगत के भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर अगले जन्म में कुबेर को धन का देवता बनने का आशीर्वाद दे दिया। अगले जन्म में, कुबेर ने माता लक्ष्मी, ब्रह्मा, और भगवान शिव की कठिन तपस्या की। इस तपस्या से प्रसन्न होकर लक्ष्मी जी ने उन्हें अथाह धन दिया, और ब्रह्मा जी ने उन्हें खजाने की रक्षा करने का कार्य सौंपा। जबकि शिव शंकर ने उन्हें धन की कमी न होने का आशीर्वाद पूर्वजन्म में ही दे दिया था। इस प्रकार देवी-देवताओं की कृपा से कुबेर धन के देवता बने।
कुबेर का परिवार
कुबेर का विवाह सूर्य की पुत्री भद्रा से हुआ था, जिससे उनके दो पुत्र, नलकूबेर और मणिग्रीव, और एक पुत्री मीनाक्षी हुई। कई पौराणिक कहानियों में कहा गया है कि नलकूबेर ने अप्सरा रंभा से भी विवाह किया था। कुबेर अपनी समृद्धि और धन-दौलत के लिए प्रसिद्ध हैं और मान्यता है कि वे मंदिरों में गड़े खजाने की रक्षा करते हैं। जब भी कहीं पुराना खजाना मिलता है, तो कुबेर के साथी सर्प रूप में उसकी रक्षा करते हैं।
धनतेरस पर पूजा का महत्व
धनतेरस पर सोना, चांदी, वाहन, घर और अन्य मूल्यवान चीजें खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी के साथ ही कुबेर जी की भी पूजा की जाती है। कुबेर को धन भंडार का रक्षक माना जाता है, इसलिए अपनी जमा-पूंजी की रक्षा के लिए उनकी पूजा की जाती है। विशेष रूप से, कुबेर जी स्वर्ण (सोने) के रक्षक माने जाते हैं।
धनतेरस पर कुबेर की पूजा से न केवल धन की वृद्धि होती है, बल्कि यह जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने का भी माध्यम है। इस प्रकार, कुबेर की पूजा इस दिन विशेष महत्व रखती है और यह एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।

धनतेरस पर पूजा का महत्व और विधि
धनतेरस, जिसे धन त्रयोदशी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह दीपावली के पांच दिवसीय महापर्व की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन विशेष रूप से भगवान धन्वंतरि और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। धनतेरस पर की गई पूजा से घर में समृद्धि, सुख और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
पूजा का महत्व
- धन की देवी का आह्वान: इस दिन माता लक्ष्मी का स्वागत करने का समय होता है, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं।
- कुबेर की कृपा: कुबेर, जो धन के देवता हैं, की पूजा से वित्तीय समस्याओं का समाधान होता है।
- व्यापार में वृद्धि: व्यवसायियों के लिए यह दिन विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। इस दिन खरीदारी करने से समृद्धि बढ़ती है।
- स्वास्थ्य और कल्याण: भगवान धन्वंतरि, जो चिकित्सा के देवता हैं, की पूजा से स्वास्थ्य में सुधार होता है।
धनतेरस पूजा की विधि
धनतेरस पर पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
पूजा का स्थान तैयार करें:
- घर के उत्तर या पूर्व दिशा में स्वच्छ स्थान पर पूजा की तैयारी करें।
- पूजा के स्थान पर एक चौकी रखें और उस पर भगवान धन्वंतरि, कुबेर और माता लक्ष्मी की प्रतिमाएं या चित्र रखें।
सामग्री एकत्र करें
- पूजा के लिए दीपक, अगरबत्ती, फूल, चावल, फल, मिठाई, एवं coins (धातु के सिक्के) इत्यादि रखें।
- इस दिन विशेष रूप से सोने, चांदी, या किसी बहुमूल्य धातु की वस्तु खरीदना शुभ होता है।
दीप जलाएं:
- पूजा से पहले एक दीपक जलाएं और उसकी रोशनी से पूजा स्थल को रोशन करें।
- संकल्प लें कि आप धन और समृद्धि के लिए प्रार्थना करेंगे।
आरती और मंत्र
- पहले भगवान धन्वंतरि की पूजा करें। उनके निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें:
"ॐ श्री धन्वंतरये नमः।"
कुबेर की पूजा
- कुबेर की पूजा करते समय निम्नलिखित मंत्र का जप करें:
"ॐ श्री कुबेराय नमः।"
लक्ष्मी माता की पूजा:
- लक्ष्मी माता की पूजा करते समय उन्हें कुमकुम, चावल और फल अर्पित करें।
- उनके निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:
"ॐ महालक्ष्मयै च विद्महे, विष्णुपत्न्यै च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।"
आभार व्यक्त करें
- पूजा के अंत में सभी देवताओं का धन्यवाद करें और यह प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन में समृद्धि और सुख लाएं।
प्रसाद वितरण
- पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें, जिससे घर के सभी सदस्यों को सुख और समृद्धि मिले।

धनतेरस पर की गई यह पूजा न केवल धन और समृद्धि की प्राप्ति का साधन है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और स्वास्थ्य को भी बनाए रखती है।