fbpx

Total Users- 540,416

Total Users- 540,416

Friday, November 15, 2024

वो ख़्वाबों के दिन (भाग – 10)

वो ख्वाबों के दिन  भाग 10

( पिछले 9 अंकों में आपने पढ़ा : मन में अनेक अरमान लिए एक गांव से शहर पढ़ने आये एक युवा के दिल की धड़कन बढ़ा देती है , एक दिन अचानक , एक बंगले की पहली मंज़िल की खिड़की . वह देखता है वहां पर एक नाज़ुक व बेहद खूबसूरत युवती जोकि उसकी कल्पना से भी ज़्यादा सुंदर होती है . फिर एक दिन उसे महसूस होता है कि उस खिड़की के सैंकड़ों चक्कर बिलकुल बेअसर नहीं हैं . उस युवती के इशारों इशारों में जवाब और आगे मस्ती से भरी फोन पर शुरू हो चुकी बातचीत ने एक खूबसूरत आकार लेना शुरू कर दिया . आगे , पढें आज पहली मुलाकात में क्या क्या हुआ  )

एक प्रेम कहानी अधूरी सी ….

(पिछले रविवार से आगे की दास्तान – 10 )

अगले दिन रविवार था. अल सुबह मेरे कदम फिर उसकी खिड़की की तरफ बढ़ने के लिए बेचैन थे , एक रुटीन जो बन गया था. बड़ी मुश्किल से मैंने अपने रोका क्योंकि आज तो सीधे 10.30 बजे मुलाकात होनी थी , अपने मन पर राज करने वाली , मलिका से . रात भर जो मैं उसके साथ छेड़ छाड़ , हंसी मज़ाक़ , रोमांस और ना जाने क्या क्या सोच रहा था ? सुबह से घबराहट होने लगी कि उसे मैं ‘ दूर के ढोल सुहाने की तरह ‘ तो नहीं लगता हूं , कही वह पहली ही मुलाकात में मुझे फ्यूज़ बल्ब ना मान ले . फिर खुद को दिलासा दिया कि कुछ तो खास है माबदौलत में जो ‘ मलिका ‘ ने मुझसे मिलने की इच्छा दिखाई है . नहा धोकर चुपचाप फिर से बिस्तर पर लेट गया , आंखें खोलकर देखता तो हर बार लगता कि समय इतना धीरे क्यों कट रहा है ? 

और कितने इम्तेहान लेगा वक़्त तू
ज़िन्दगी मेरी है फिर मर्ज़ी तेरी क्यों

9.30 बजे अपने सबसे स्टाइलिश कपड़ों के साथ , अपने को तैयार किया और चल पड़ा नेहरू पार्क की उस जगह पर जहां उसने मुझे मिलने के लिये बुलाया था . मैं नेहरू पार्क स्विमिंग पूल से निकले अपने साथियों के साथ गप मारते , उन्हें पार्क से बाहर तक छोड़ने आया . एक ने झसे पूछ लिया कि इतने अच्छे कपड़े, क्या तुम्हारा जन्मदिन है ? मेरे ना कहने पर दूसरा बोला , तो क्या आज एक दिन में ही किसी को इम्प्रेस करने का इरादा है ? हम सब ठहाका मार कर हंस दिय  सवा दस बजे , फिर से अंदर की तरफ भागा . नरम धूप थी और ठंडी हवा चल रही थी , पर उस तरफ के बगीचे वाले हिस्से में कोई नहीं था . मैं एक झाड़ी के नीचे लेट गया . फिर से उस खूबसूरत लमहे इंतज़ार करते हुए ,  अपनी सोच के ताने बाने बुनने लगा . 

ग़ज़बकियातेरेवादेपरऐतबारकिया
तमामरातक़यामतकाइंतज़ारकिया

लगभग दस मिनट के बाद तुम , एक 12 साल की आया जैसी लड़की और एक 6 साल के नन्हे मुन्ने का हाथ पकड़कर, दूसरे हाथ में क्रिकेट का बैट और स्टम्प लेकर आयी . वह बच्चा भारी जोश में था और अपने हाथ की बाल को बार–बार उछलकर कैच करने की कोशिश करता था . तुम लोगों ने स्टम्प लगाया और खेल शुरू कर दिया . तुम्हारी आंखें मुझे ढूंढ रही थीं . मुझको देखते ही तुम्हारी नज़रों में खुशी तैर गयी. मैं भी एक अनजान युवा की तरह तुमसे अनुरोध करने लगा कि मुझे भी खिला लो , मैं फील्डिंग में तुम लोगों की मदद करूंगा . तुमने उस लड़की की तरफ देखा , वह खुशी से बोली, दीदी खिला लेते हैं ना ? शायद वह दूर तक दौड़ कर बार–बार बॉल लाने से बचना चाहती थी . 6 साल का बच्चा तुम्हारा भतीजा था . मैं उसे धीमी बॉल करता , वह ज़ोर से मारता . मैं उसकी तारीफ़ करता और बॉल लेने जाता. फिर उस लड़की की और उसके बाद तुम्हारी बैटिंग आयी. मैं जान–बूझकर कैच छोड़ता, उटपटांग हरकतें और कमेंट कर,  तुम लोगों को हंसाता. तुम सब, मुझसे हिलमिल कर, मज़े लेते. 20 मिनट बाद तुमने कहा, बस , अब खेल ख़त्म करते हैं . बच्चे , उस लड़की और तुमने मुझे मुस्कुरा कर बाय किया . उस बच्चे ने मुझसे अगले रविवार फिर खेल में शामिल होने का वायदा लिया . फिर सामान और बच्चों के साथ तुम अंदर स्वीमिंग एरिया में चली गयी . मैं उदास होकर फिर से उस झाडी के नीचे जाकर लेट गया .

वोकरीबआयेऔरअपनेजलवेदिखाकरचलदिये 
खेलगयेमेरेअरमानोंसे , औरसुलाकरचलदिये

मैंने आंखें बंद की ही थी कि पांच ही मिनट के अंदर मुझे मेरे कान में मीठी आवाज़ आयी, ‘ध्रुव ‘. वह मुस्कुराकर  बोली, बुद्धु राम , कैसे सोच लिया कि मैंने आपको केवल फील्डिंग करने बुलाया है ? झटपट उसने मुझे पार्क के दूसरे हिस्से में चलने कहा . जाते ही वह मेरा हाथ पकड़कर एक झाड़ के नीचे बैठ गयी. मैं रोमांचित हो उठा . कुछ देर चुपचाप हाथों में हाथ रहा,  फिर हाथ को झुलाते हुए बोली , सुनो ना . मैंने आंखों के इशारे से उससे कहा , कहो ना . अब तक हमारे हाथों की कंपकंपाहट गई नहीं थी . उसके गाल और मेरे कान लाल हो चुके थे .

सनसनाहटसीहुई , थरथराहटसीहुई
जागउठेख्वाबकई , बातकुछबनहीगयी
जानेक्यातूनेकही , जानेक्यामैनेसुनी
गयीजाननई , बातकुछबनहीगयी

( अगले हफ्ते आगे का किस्सा ) 

इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक ,

दैनिक पूरब टाइम्स

More Topics

वो ख़्वाबों के दिन (भाग – 14)

वो ख्वाबों के दिन ( पिछले 13 अंकों में आपने पढ़ा : मन में अनेक...

वो ख़्वाबों के दिन (भाग – 13)

वो ख्वाबों के दिन ( पिछले 12 अंकों में आपने पढ़ा : मन में अनेक...

वो ख़्वाबों के दिन (भाग – 12)

वो ख्वाबों के दिन ( पिछले 11 अंकों में आपने पढ़ा : मन में अनेक...

वो ख़्वाबों के दिन (भाग – 11)

वो ख्वाबों के दिन ( पिछले 10 अंकों में आपने पढ़ा : मन में अनेक...

वो ख़्वाबों के दिन (भाग – 9)

वो ख्वाबों के दिन  भाग 9( पिछले 8 अंकों में आपने पढ़ा : मन में अनेक...

वो ख़्वाबों के दिन (भाग – 8)

वो ख्वाबों के दिन( पिछले 7 अंकों में आपने पढ़ा : मन में अनेक...

वो ख़्वाबों के दिन (भाग -7)

( पिछले 6 अंकों में आपने पढ़ा :  मन में अनेक अरमान लिए एक...

वो ख़्वाबों के दिन (भाग -6)

वो ख्वाबों के दिन ( पिछले 5 अंकों में आपने पढ़ा :  मन में अनेक...

Follow us on Whatsapp

Stay informed with the latest news! Follow our WhatsApp channel to get instant updates directly on your phone.

इसे भी पढ़े