fbpx
Thursday, October 10, 2024

छत्तीसगढ़ की निरई माता: महिलाओं की एंट्री पर रोक, जानिए साल में एक बार 5 घंटे के लिए खुलने वाले अनोखे मंदिर की कहानी

क्या आपने कभी सुना है कि मां के दरबार में महिलाएं नहीं जा सकती। जी हां निरई माता के इस मंदिर में महिलाओं का जाना और पूजा-पाठ करना वर्जित है। सिर्फ ये ही नहीं बल्कि महिलाओं को यहां के प्रसाद को खाने की इजाजत तक भी नहीं है। ये ही नहीं। जहां एक तरफ माता रानी के नाम से ही स्पष्ट है। माता का हार-श्रृंगार आदि। वहीं इस मंदिर में मां को सुहाग का सामान नहीं चढ़ाया जाता।बल्कि यहां माता रानी को प्रसन्न करने के लिए सुहाग की जगह जानवरों की भेंट की जाती है। ये सारी बातें हर किसी को सोचने में मजबूर कर देती है कि ऐसा क्यों। तो आज हम आपको बताएंगे माता रानी के इस रहस्यमयी के बारें में कुछ दिलचस्प बातें। तो आईए जानते हैं

बता दें माता के इस द्वार को निरई माता के नाम से भी जाना जाता है। ये मंदिर छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला से 12 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर स्थित है। ये श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। निरई माता को लगभग 200 सालों से पूजा जा रहा है। माता रानी के इस एक दरबार में बहुत सारी अनोखी बातें छिपी हैं। इस मंदिर की सबसे अनोखी बात ये है कि इस परिसर के कपाट सुबह 4 से 9 बजे तक सिर्फ 5 घंटे के लिए ही खोले जाते हैं। इस दौरान यहां भक्तों की भीड़ लग जाती है। लोग कतारों में लगकर मां के दर्शन करतें है। लेकिन परंपरा के मुताबिक मंदिर में महिलाओं का जाना और पूजा-पाठ करना वर्जित है।सिर्फ ये ही नहीं बल्कि महिलाओं को यहां के प्रसाद को खाने की इजाजत तक भी नहीं है। माना जाता है कि प्रसाद खाने से कुछ अनहोनी होने का डर रहता है। इसलिए केवल पुरुष ही यहां की पूजा-पाठ की रीतियों को निभाते हैं।

मां निरई के इस पावन दरवार में सिंदूर, सुहाग, श्रृंगार, कुमकुम, गुलाल और धुप नहीं चढ़ाया जाता है। बल्कि नारियल, अगरबत्ती, से माता को मनाया जाता है। इसके साथ ही यहां बकरों की बलि दी जाती है,। लोक मान्यता के अनुसार ऐसा करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। कई सालो से चली आ रही प्रथा के अनुसार मनोकामना पूरी होने के बाद मां को बकरे की बलि उपहार के रूप दी जाती है। इस मंदिर की एक और हैरान करने वाली बात ये है कि यहां चैत्र माह के नवरात्रों में 9 दिन ज्योत स्वयं प्रज्वलित होती है।.और माता रानी की ये पवित्र जोत बिना तेल और घी के स्वयं जलती है। ये नज़ारा देखने लोग दुर-दूर से यहां आते हैं और हैरान रह जाते हैं। यहां तक कि बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी इस रहस्य का पता आज तक नहीं लगा पाएं।

More Topics

लौकी का जूस : सेहत के लिए 10 बेहतरीन फायदे

लौकी का जूस सेहत के लिए अत्यंत फायदेमंद होता...

उसके गुरु, मेरे गुरु से, ज़्यादा पॉपुलर कैसे ?

मेरे इंदौर इंजीनियरिंग कॉलेज का एक दोस्त मुझसे मिलने...

गूगल के बदलाव : एंड्रॉयड और क्रोम यूजर्स पर असर

हाल ही में, गूगल ने अपने एंड्रॉयड और क्रोम...

Ind vs Ban : दूसरे टी20 मुकाबले में टीम इंडिया ने शानदार जीत दर्ज की. 

दूसरे टी20 मुकाबले में टीम इंडिया ने शानदार जीत...

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रिक्त पदों पर आवेदन आमंत्रित

एकीकृत बाल विकास परियोजना जैजैपुर, जिला सक्ती ने आंगनबाड़ी...

Follow us on Whatsapp

Stay informed with the latest news! Follow our WhatsApp channel to get instant updates directly on your phone.

इसे भी पढ़े