मदकू द्वीप छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो शिवनाथ नदी के बीचों-बीच स्थित है। यह द्वीप अपनी प्राकृतिक सुंदरता, प्राचीन मंदिरों और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व:
- ऋषि मांडूक्य: मदकू द्वीप का नाम ऋषि मांडूक्य के नाम पर पड़ा है, जिन्होंने यहीं बैठकर ‘मंडूक उपनिषद’ की रचना की थी। यह उपनिषद ‘सत्यमेव जयते’ के प्रसिद्ध श्लोक के लिए जाना जाता है, जो भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है।
- प्राचीन मंदिर: द्वीप पर 10वीं और 11वीं शताब्दी के कई प्राचीन शिव मंदिर स्थित हैं, जिनमें धूमेश्वर महादेव, श्री राम केवट मंदिर, श्री राधा कृष्ण, लक्ष्मी नारायण मंदिर, श्री गणेश और श्री हनुमान को समर्पित मंदिर शामिल हैं। यहां कुल छह शिव मंदिर और ग्यारह स्पार्तलिंग मंदिर हैं।
- शिलालेख और मूर्तियां: यहां तीसरी सदी का ब्राह्मी शिलालेख और शंखलिपि में लिखा शिलालेख मिला है। साथ ही, सिर विहीन पुरुष की राजप्रतिमा और कलचुरी कालीन चतुर्भुजी नृत्य गणेश की प्रतिमा भी यहां पाई गई हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य:
मदकू द्वीप अपनी हरियाली, शांत वातावरण और शिवनाथ नदी के सुंदर दृश्य के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए आकर्षण का केंद्र है। द्वीप तक पहुंचने के लिए नावों का उपयोग किया जाता है, जो यात्रा को और भी रोमांचक बनाती हैं।
कैसे पहुंचें:
- ट्रेन द्वारा: बिलासपुर रेलवे स्टेशन से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सरगांव उप विकासखंड तक सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है।
- सड़क द्वारा: यह जिला मुख्यालय मुंगेली से 40 किलोमीटर दूर सरगांव उप विकासखंड में स्थित है।
विशेष आयोजन:
हर साल फरवरी महीने में यहां ईसाई मेला लगता है, जिसमें छत्तीसगढ़ और देश के अन्य हिस्सों के ईसाई श्रद्धालु पूजा और प्रार्थना के लिए इकट्ठा होते हैं।
मदकू द्वीप छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति, इतिहास और धार्मिक आस्था का प्रतीक है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।