सूरजपुर जिले का प्राचीन कुदरगढ़ धाम में मां बागेश्वरी का पुराना मंदिर स्थापित है. इस प्राचीन कुदरगढ़ धाम का इतिहास भी काफी रोचक मान्यताओं से भरा है. मान्यता है कि इसी क्षेत्र में मां भगवती ने राक्षसों का संहार किया था. इस जगह की इसी विशेषता के कारण यहां ना सिर्फ आस-पास के जिलों से बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी श्रद्धालु आते हैं.

सूरजपुर मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर ओडगी विकासखंड में स्थित कूदरगढ़ धाम घने जंगल के बीच बसा है. यह स्थान दुर्लभ पेड़-पौधों, और झरनों से भरा हुआ है. लंबे-लंबे घने साल के विशालकाय वृक्ष मौजूद है. इसी जंगल के बीच खुले स्थान पर वट वृक्ष के नीचे माता बागेश्वरी विराजमान हैं. कुदरगढ़ी माता धाम को शक्ति पीठ के नाम से भी जानते हैं. जो लगभग 1500 फीट ऊंचे पहाड़ पर विराजमान है.
ये है मान्यता
कुदरगढ़ क्षेत्र मां भगवती पार्वती की तपस्थली रही हैं. जहां माता भगवती ने शक्ति का रूप धारणक राक्षसों का संहार किया था. बाद में इसी जगह पर लगभग चार सौ साल पहले राजा बालंद ने माता बागेश्वरी को स्थापित किया. वे माता के भक्त थे. बाद में चौहान वंश के राजा ने बालंद को युद्ध में पराजित कर दिया था. जिसके बाद उसी वंश ने माता के मंदिर की देख रेख की. तब से हर साल नवरात्र में सुबह की पहली आरती चौहान वंश के वंशज ही यहां करते हैं.

इसलिए वटवृक्ष के नीचे हैं मां स्थापित
राजा बालंद के द्वारा कुदरगढ़ धाम के माता बागेश्वरी की स्थापना के बाद कुछ चोर माता की मूर्ती को चोरी कर उठा ले गए. इसी दौरान चोरों ने मूर्ति को कुछ दूर ले जाकर रखा दिया. इसके बाद वे उस मूर्ति को उठा नहीं पाएं. यही कारण है कि वट वृक्ष के नीचे ही माता की मूर्ति स्थापित है. 18वीं सदी में चौहान राजाओं ने छत्तीसगढ़ के मूल आदिवासी बैगा जनजाति को माता के देख-रेख और पूजा की जिम्मेदारी सौंपी थी. तब से आज तक बैगा समुदाय के लोग ही माता कि पूजा करते है.
हर मुराद होती है पूरी
इस विषय में मंदिर ट्रस्ट के सदस्य ने बताया कि ये मंदिर काफी प्राचीन है. यहां लोगों में मां के प्रति आस्था साफ तौर पर देखी जाती है. कहा जाता है कि इस मंदिर में श्रद्धालु जो भी मन्नत मांगते हैं, वो पूरी हो जाती है. यही कारण है कि हमेशा यहां श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है.
कुदरगढ़ धाम यह एक पहाड़ी पर बना हुआ है। यहां पहुंचने के लिए आपको थोड़ा ट्रेकिंग भी करनी पड़ती है। यह स्थान छत्तीसगढ़ और झारखंड के निवासियों के बीच खासा लोकप्रिय है। कुदरगढ़ धाम तक पहुंचने के लिए कई रास्ते उपलब्ध हैं।

यहां कैसे पहुंच सकते हैं, इसका विवरण निम्नलिखित है:
1. निकटतम हवाई अड्डा: स्वामी विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, रायपुर (लगभग 300-350 किलोमीटर दूर) रायपुर हवाई अड्डा कुदरगढ़ धाम से सबसे निकटतम प्रमुख हवाई अड्डा है। हवाई यात्रा के बाद, आप बस या टैक्सी के माध्यम से कुदरगढ़ धाम तक पहुंच सकते हैं।
2. निकटतम रेलवे स्टेशन: अंबिकापुर रेलवे स्टेशन (लगभग 90-100 किलोमीटर दूर) अंबिकापुर, कुदरगढ़ धाम के सबसे नजदीक प्रमुख रेलवे स्टेशन है। अंबिकापुर से कुदरगढ़ धाम के लिए टैक्सी या बस द्वारा आसानी से यात्रा की जा सकती है।
3. सड़क मार्ग से: कुदरगढ़ धाम सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसके लिए निम्नलिखित मार्गों का उपयोग किया जा सकता है: अंबिकापुर से कुदरगढ़: अंबिकापुर से कुदरगढ़ धाम की दूरी लगभग 90 किलोमीटर है। आप अंबिकापुर से बस या निजी वाहन से यात्रा कर सकते हैं। बिश्रामपुर और सूरजपुर से: ये दोनों स्थान भी कुदरगढ़ धाम से लगभग 60-80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं और यहां से नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। सड़क मार्ग का अंतिम चरण (ट्रेकिंग): कुदरगढ़ धाम तक पहुंचने के लिए अंतिम कुछ किलोमीटर की यात्रा आपको पैदल ही करनी पड़ती है, क्योंकि धाम एक पहाड़ी पर स्थित है। ट्रेकिंग का यह रास्ता प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है और यह अनुभव भक्तों और पर्यटकों दोनों के लिए खास होता है।
4. स्थानीय परिवहन: अंबिकापुर, बिश्रामपुर और सूरजपुर जैसे प्रमुख शहरों से कुदरगढ़ धाम तक पहुंचने के लिए टैक्सी, ऑटो रिक्शा या बस सेवाएं उपलब्ध होती हैं। स्थानीय लोग भी यहां यात्रा करने के लिए निजी वाहन का इस्तेमाल करते हैं।