छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में स्थित है और यहाँ का पर्यटन स्थल प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्ता से ओतप्रोत है। वन वासनी देवी, या खुड़िया रानी, इस मंदिर के प्रमुख देवी हैं, जिन्हें लोग विशेष भक्ति से पूजते हैं। मंदिर गुफा में स्थित है, जिसे पहुंचने के लिए प्रवेशद्वार से एक ट्रेकिंग मार्ग शुरू होता है। यहाँ पहुंचने के लिए आपको खुड़िया गाँव से शुरू होने वाला एक रास्ता चुनना होगा। गाँव से शुरू होने वाला ट्रैक प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर होता है और यात्री इसे पैदल या हाथी पर भी कर सकते हैं।
जिले के बगीचा सन्ना रोड में रौनी गांव से लगभग 20 किमी घने जंगल और पहाड़ियों के बीच स्थित है। टूटी-फूटी सड़क और कच्चे रास्तों से एवं चार चक्के वाहन से ग्राम छीछली पहाड़ तक पहुंचा जा सकता है। फिर 450 सीढ़ी से नीचे उतरकर खोह में मातारानी विराजमान हैं। दर्शन के लिए निरन्तर जिले के लोग दर्शन लाभ हेतु पहुंचते हैं। जहां पर बलि प्रथा आज भी कायम है। यहां 12 मास मेला के समान श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई रहती है। यहां पर सड़कों का विकास होना आवश्यक है। यह प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक बन सकता है क्योंकि यहां पर धार्मिक आस्था और प्राकृतिक वातावरण, कलकल बहती नदियां व झरने घने जंगल से लोगों का मन प्रफुल्लित हो जाता है। यह सुनहरी गुफा जैसा वर्णन अत्यंत प्रेरणादायक है।
गुफा के अंदर के दृश्य और मान्यताओं की विशेषता भविष्य की धारणा को बढ़ा देती है। इसकी सुंदरता और पवित्रता गहरे आध्यात्मिक अनुभव को प्रेरित करती है। लोगों की भक्ति और विश्वास की दृढ़ता इसे और अधिक महत्त्वपूर्ण बनाती है। इस गुफा में चट्टानों की प्राचीनता और विशेषता एक अलग ही माहौल पैदा करती है। इस गुफा में प्रवेश करने और देवी खुड़िया रानी की प्रतिमा तक पहुंचने के लिए की जाने वाली यात्रा व्यक्तिगत और आध्यात्मिक अनुभव का सफर होता है। यहाँ पहुंचने के बाद लोग अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए भगवान की अनुपस्थिति में भी विश्वास करते हैं।
इस तरह के स्थानों पर लोगों की अद्भुत श्रद्धा और आस्था होती है। यहाँ पहुंचना और पूजा-अर्चना करना उनके जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन जाता है। ऐसी स्थानों पर जाने से हमें अपने पूर्वजों की सोच, विचार और धार्मिकता का सम्मान करने का अवसर मिलता है। यहाँ की शांति और प्राकृतिक सौंदर्य हमें एक नये दृष्टिकोण और विचारधारा की ओर आकर्षित करते हैं। इस तरह के स्थानों का महत्त्व और उनकी मान्यताएं हर क्षण और हर दिन बदल रही हैं, लेकिन उनमें विश्वास और आस्था की अनन्तता बरकरार रहती है। यह अनुभव हमें धार्मिकता और विश्वास की महत्ता को समझाता है।
गुफा की यात्रा और उसमें होने वाली पूजा अर्चना न केवल आत्मा को शांति प्रदान करती है, बल्कि हमें हमारी धार्मिक विरासत को मानने के लिए भी प्रेरित करती है। इस तरह के धार्मिक स्थल हमें जीवन के मूल्यों को समझने और संरक्षित करने की महत्ता को सिखाते हैं। की पूजा अर्चना की कथा एक माहत्म्य वाली है, जिसे स्थानीय लोग प्रमाणित करते हैं। पहले इस पर्वतीय गुफा के अंदर ही खुड़िया रानी की पूजा की जाती थी। एक दिन, एक बैगा भोग चढ़ाने के बाद गुफा से बाहर निकल रहा था, लेकिन वह अपना लोटा भूल गया था। लोटा लेने के लिए वह फिर से गुफा में चला गया। उस समय, देवी भोग ग्रहण कर रही थी, और उसे देखकर क्रोधित हो गई। उसने बैगा से कहा कि “अब से मेरी पूजा दरवाजा के बाहर से ही होगी”। उसके बाद से, गुफा के बाहर ही खुड़िया रानी की पूजा अर्चना की जाती है। यह कथा स्थानीय लोगों के धार्मिक अनुष्ठान और परंपरागत विश्वास का प्रतिष्ठित उदाहरण है।
जशपुर सडक मार्ग द्वारा रायगढ़, अंबिकापुर, रांची के साथ जुड़ा हुआ है। यह स्थान बगीचा से 17 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है | जशपुर से निकटतम रेलवे स्टेशन रांची और अंबिकापुर है। जशपुर से लगभग 150 किमी दूर रांची रेलवे स्टेशन है | जशपुर से निकटतम हवाई अड्डा रायपुर है जहा से खुड़िया रानी पंहुचा जा सकता है