कामाख्या मंदिर असम राज्य के गुवाहाटी शहर के पश्चिमी हिस्से में नीलांचल पहाड़ी पर स्थित एक प्रमुख हिंदू मंदिर है, जो देवी कामाख्या को समर्पित है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां देवी सती के अंग गिरे थे, और इसे तांत्रिक साधना का महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है।
पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव का अपमान सहन न कर आत्मदाह कर लिया। शोकग्रस्त शिव ने सती के शरीर को उठाकर तांडव किया, जिससे सृष्टि में असंतुलन उत्पन्न हुआ। स्थिति को संभालने के लिए, भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े किए, जो विभिन्न स्थानों पर गिरे और वे स्थान शक्तिपीठ कहलाए। कामाख्या मंदिर उस स्थान पर स्थित है जहां सती का योनि भाग गिरा था, और यहां देवी की योनि की पूजा की जाती है।
मंदिर की विशेषताएँ
- देवी की प्रतिमा: अन्य मंदिरों के विपरीत, कामाख्या मंदिर में देवी की कोई मूर्ति नहीं है। यहां एक प्राकृतिक पत्थर है, जो योनि के आकार का है, और इसे ‘योनि-कुंड’ कहा जाता है, जहां से निरंतर जल प्रवाहित होता रहता है।
- अंबुबाची मेला: हर वर्ष जून महीने में अंबुबाची मेले का आयोजन होता है, जिसे देवी के रजस्वला होने का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान मंदिर के द्वार तीन दिनों के लिए बंद रहते हैं, और चौथे दिन विशेष पूजा के साथ पुनः खोले जाते हैं। मान्यता है कि इस समय ब्रह्मपुत्र नदी का पानी लाल हो जाता है, जो देवी के मासिक धर्म का संकेत है।
- तांत्रिक साधना का केंद्र: कामाख्या मंदिर तांत्रिक साधना के लिए प्रसिद्ध है। अंबुबाची मेले के दौरान देश-विदेश से तांत्रिक, साधु और साधक यहां एकत्रित होते हैं और विशेष साधनाओं का अनुष्ठान करते हैं।
यात्रा संबंधी जानकारी
- स्थान: गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर नीलांचल पहाड़ी पर स्थित है।
- कैसे पहुँचें: गुवाहाटी देश के प्रमुख शहरों से रेल, सड़क और वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है। गुवाहाटी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है, जो शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। वहां से टैक्सी या बस द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
- रहने की व्यवस्था: मंदिर परिसर के निकट कामाख्या देवालय गेस्ट हाउस उपलब्ध है, जहां श्रद्धालु ठहर सकते हैं। इसके अलावा, गुवाहाटी शहर में विभिन्न बजट के होटल भी मौजूद हैं।