राजस्थान का सवाई माधोपुर जिला अपनी ऐतिहासिक धरोहर और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थित चामुंडा देवी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है और इसे उत्तर भारत की प्रमुख नौ देवियों में गिना जाता है।
शक्ति का पावन स्थल
मान्यता है कि जब असुर चंड-मुंड का वध देवी ने किया, तब उन्हें “चामुंडा” नाम मिला। इस मंदिर में देवी के चरण गिरे थे, जिससे यह स्थान शक्तिपीठ बना। यहां आने वाले भक्त अपनी सभी मनोकामनाएं पूरी होने की आशा में माता के चरणों में शीश नवाते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य का संगम
यह मंदिर समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जहां से प्रकृति की अनुपम सुंदरता का आनंद लिया जा सकता है। बनास नदी से मात्र 3 किमी की दूरी पर बसे इस मंदिर को एक पिकनिक स्पॉट के रूप में भी देखा जाता है।
ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने सती के शरीर को सुदर्शन चक्र से 51 भागों में विभाजित किया था, जिन स्थानों पर उनके अंग गिरे, वे शक्तिपीठ बन गए। चामुंडा देवी मंदिर भी इन्हीं में से एक है।
भव्य उत्सव और आयोजन
नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है और अखंड पाठ का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालु इस दौरान भारी संख्या में माता के दर्शन के लिए आते हैं।
यात्रा मार्ग और सुविधाएं
पर्यटक हवाई, रेल और सड़क मार्ग से यहां पहुंच सकते हैं। नजदीकी हवाई अड्डा गगल में है, जो 28 किमी दूर स्थित है। सड़क मार्ग से आने वाले यात्रियों के लिए हिमाचल प्रदेश टूरिज्म की बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
मौसम और यात्रा का उचित समय
यहां का मौसम वर्ष भर सुहावना रहता है, लेकिन जनवरी से मार्च का समय दर्शन के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।
चामुंडा देवी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और शक्ति का प्रतीक है, जहां भक्तों की आस्था सदियों से बनी हुई है।
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