सावन का महीना शिवभक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस महीने देश भर के शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। अगर आप छत्तीसगढ़ में रहते हैं और सावन में भगवान भोलेनाथ के दरबार में जाना चाहते हैं, तो आप गरियाबंद जिले में स्थित भूतेश्वर महादेव के दरबार में जा सकते हैं। बहुत ऐतिहासिक मंदिर है।
सावन महीने में लोग भगवान शिव की भव्य पूजा करते हैं। देश भर में भगवान शिव के भक्तों के पास बारह ज्योतिर्लिंग हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में एक ऐसा भूतेश्वर महादेव अर्धनारीश्वर प्राकृतिक शिवलिंग है, जिसे ज्योतिर्लिंग की तरह मानते हैं।
भूतेश्वर महादेव का मंदिर छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच गांव मरौदा में है.
शिवलिंग की ऊंचाई 18 फीट और गोलाई 21 फीट है. मान्यता है कि शिवलिंग की ऊंचाई और गोलाई धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है. राजस्व विभाग के अनुसार इसमें हर साल 6 से 8 इंच की बढ़ोतरी हो रही है.
भूतेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध यह शिवलिंग मरौदा में पहाड़ियों के बीच स्थित है. वहीं भूतेश्वर महादेव को भर्कुरा महादेव के नाम से भी जाना जाता है.
हर साल सावन के महीने में यहां भव्य मेले का आयोजन होता है, इस मंदिर में दूर-दूर से महादेव के भक्त पूजा करने आते हैं. इस स्थान की मान्यता इतनी है कि यहां न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु आते हैं. साथ ही सावन के हर सोमवार को भगवान को जल चढ़ाने के लिए सुबह से ही कांवरियों का यहां आने लगते हैं.
स्थानीय लोगों के अनुसार जंगल से गुजरते समय उन्हें सांड की दहाड़ सुनाई देती थी, जब उन्होंने यहां आकर तलाश की तो उन्हें कोई बैल नजर नहीं आया. पास ही एक विशाल टीला था, जिसके बाद लोगों यह लगने लगा कि सच हो या न हो, इस टीले में भगवान शिव का वास है और यह बैल जैसी आवाज उनके वाहन नंदी की है.
गांव वालों ने टीले को शिव का रूप मानकर यहां पूजा करने लगे. बैल की आवाज को स्थानीय भाषा में भर्कुरा या भकुरना कहा जाता है, इसलिए इस शिवलिंग का नाम भरकुरा महादेव के नाम से जाना जाने लगा.