भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर डी गुकेश की यह जीत वास्तव में ऐतिहासिक और प्रेरणादायक है। 18 वर्षीय गुकेश ने न केवल विश्व शतरंज चैंपियनशिप में चीन के डिंग लिरेन को हराया बल्कि महान गैरी कास्परोव का सबसे कम उम्र में विश्व शतरंज चैंपियन बनने का रिकॉर्ड भी तोड़ा।
चेन्नई हवाई अड्डे पर हजारों प्रशंसकों द्वारा उनका शानदार स्वागत, तमिलनाडु सरकार द्वारा सम्मान और पांच करोड़ रुपये का पुरस्कार यह दर्शाता है कि देश के लिए यह जीत कितनी महत्वपूर्ण है। शतरंज में भारत की समृद्ध परंपरा और विश्वनाथन आनंद की विरासत को आगे बढ़ाते हुए गुकेश ने नए आयाम स्थापित किए हैं।
उनकी इस उपलब्धि ने भारतीय खेल जगत में शतरंज के प्रति नई ऊर्जा और उत्साह भर दिया है। साथ ही, यह युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा, जो अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को गौरवान्वित करने का सपना देख रहे हैं।
गुकेश का यह सफर टोरंटो में कैंडिडेट्स टूर्नामेंट से शुरू होकर विश्व खिताब तक पहुंचा है, जिसमें उन्होंने अपनी प्रतिभा और समर्पण का अद्भुत प्रदर्शन किया। उनकी जीत के साथ आने वाला 1.3 मिलियन डॉलर का नकद पुरस्कार और वैश्विक स्तर पर मिली पहचान इस ऐतिहासिक क्षण को और भी खास बना देती है।
यह जीत भारत के शतरंज इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी।