नमस्कार साथियों ,पिछले अंक में मैंने मज़ेदार शायरिया और जोश भर देने वाली शायरियों के संकलन को आपके सामने प्रस्तुत किया था . उसी तरह से , ऐसे अनेक जबर्दस्त शेर हैं जो महफिल में मौके व माहौल को देखकर बोली जा सकती हैं. मंच संचालन या भाषणों में भी इनका उपयोग किया जा सकता है
1.ख्वाब टूटे है मगर हौसले जिन्दा है,
हम वो है जहां मुश्किले शर्मिंदा हैं
2.अपने मंसूबो को नाकाम नहीं करना है,
मुझको इस उम्र मे आराम नहीं करना है
- हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं - जो तूफ़ानों में पलते जा रहे हैं,
वही दुनिया बदलते जा रहे हैं - ये कह के दिल ने मेरे हौसले बढ़ाए हैं
ग़मों की धूप के आगे ख़ुशी के साए हैं - यक़ीन हो तो कोई रास्ता निकलता है
हवा की ओट भी ले कर चराग़ जलता है - वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँ
हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है - मेरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा
इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा - वक़्त की गर्दिशों का ग़म न करो
हौसले मुश्किलों में पलते हैं - दर्द ले ले या मुझे मसीहा दे दे
या मुझे दर्द को सहने का सलीका दे दे - सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है - हर गम ने, हर सितम ने, नया हौसला दिया
मुझको मिटाने वाले ने मुझको बना दिया - न तकलीफ, न ही संघर्ष तो ख़ाक मज़ा है जीने में,
थम जाते हैं बड़े बड़े तूफ़ान, जब आग लगी हो सीने में - हौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते हैं,
हर तकलीफ में ताकत की दवा देते हैं
साथियों , अगले हफ्ते फिर किसी अलग मिजाज़ पर शायरी का संकलन प्रस्तुत करुंगा .जिनमें अलग अलग शायरों के उम्दा शेर , दोस्ती, प्यार , धोखा , शराब –साकी, इंतज़ार , मंच में किसी के सम्मान में बोले जा सकने वाले शेर , अनेक गद्यांश भी आपकी सेवा में प्रस्तुत करूंगा ….
इंजी. मधुर चितलांग्या , प्रधान संपादक
दैनिक पूरब टाइम्स