पिछले कई हफ्तों में मैंने मज़ेदार शायरिया , जोश भर देने वाली , दोस्ती पर , शराबी दिल के जज़्बों को इज़हार करती , मंच संचालन के वक़्त बोली जा सकने वाली शायरियों के संकलन और कुछ खास व प्रसिद्ध पद्यांश आपके समक्ष प्रस्तुत किये, जिनका बहुधा भाषणों में प्रयोग किया जाता है . इस बार की शायरियां मुहब्बत में जलते हुए आशिक़ की भावनाएं प्रकट करती हैं
महफिल लगी थी बद्दुआ देने की
हमने भी दिल से कहा , उसे इश्क़ हो जाये,
उसे इश्क़ हो जाये , उसे इश्क़ हो जाये ..
हंसकर क़बूल क्या कर लीं आपकी सज़ाएं मैंने ..
आपने दस्तूर ही बना लिया हर इल्ज़ाम मुझ पर लगाने का …
महफिल में गले मिलकर धीरे से कह गये वो
यह दुनिया की रस्म है कुछ और ना समझ लेना …
बहुत देर कर दी तुमने
मेरी धड़कन महसूस करने में
वो दिल बेज़ार हो गया जिसको
कभी हसरत तुम्हारे दीदार की थी
हम तो फना हो गये उनकी आंखें देखकर
ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे
नज़रें झुकाकर जब भी वो गुज़रे करीब से ,
हमने समझ लिया आदाब अर्ज़ हो गया
जिस जिस को मिली खबर , सबने एक ही सवाल किया
तुमने क्यों की मोहब्बत , तुम तो समझदार थे
मोहब्बत दो लोगों के बीच का नशा है
जिसे पहले होश आ जाये, वो बेवफा है
लाज़िमी है मेरा बेमिसाल होना
एक तो मैं ख्याल हूं … और वो भी तुम्हारा …
तुम्हें हर पल महसूस कर सकें
इसलिये खामोश रहने लगे हैं हम
हो गई वो बाइज़्ज़त बरी मेरे खून के इल्ज़ाम से
क़ातिल निगाहों को अदालत ने हथियार नहीं माना
ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें
किसी दर्द-मंद की हूँ सदा किसी दिल-जले की पुकार हूँ
जो बिगड़ गया वो नसीब हूँ जो उजड़ गई वो बहार हूँ
किया है जो कुछ ज़िक्र मुझ दिल-जले का
पसीने में बिल्कुल नहाए हुए हैं
कई सूखे हुए पत्ते हरे मालूम होते हैं
हमें देखो कहीं से दिल-जले मालूम होते हैं
शोर ने उस वक्त खुद को ख़ामोशी से मिला दिया,
जब मेरे दिल ने उसे नजरों से गिरा दिया.
मुस्कुराकर वो गैरो के साथ चलते है,
तो मेरे दिल में आग के शोले जलते है.
बड़े ही खुशनुमा वहम थे
कि हम उनकी ज़िंदगी में अहम थे
अगले रविवार फिर से किसी अलग मिजाज़ की शायरियों का गुलदस्ता प्रस्तुत करूंगा
इंजी . मधुर चितलांग्या, संपादक,
दैनिक पूरब टाइम्स