आज देश व राज्य के चुनाव अलग अलग समय पर होते हैं . एक देश , एक साथ चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की कमेटी ने 191 दिन में रिपोर्ट तैयार की और मोदी मंत्रीमंडल ने इसके लिये मंजूरी दे दी है . आज हमारी चौपाल में इस पर चर्चा चल पड़ी . एक पत्रकार ने इसका फायदा गिनाते हुए कहा कि अच्छा है , इससे चुनाव कराने में खर्च होने वाले राजकोष में भारी बचत होगी . मैंने अपनी राय रखी , सही है राज्यों में व केंद्र में, अलग अलग समय आचार संहिता लगने से विकास कार्यों में भारी रुकावट आ जाती है . साथ ही विभिन्न सरकारी कर्मचारियों की चुनाव ड्यूटी भी लग जाती है . ये समस्याएं नहीं आयेंगी . अब तीसरा साथी बोला , कालेधन के उपयोग में भारी कमी आयेगी . इसके अलावा व्यापारियों से चंदा वसूली भी कम होगी . अब चौथा साथी , हमारे विपक्षी दल की तरह कह उठा , तुम लोग देश की बात कर रहे हो पर इसके पीछे बड़ी पार्टियों की मंशा नहीं समझ रहे हो . छोटी पार्टियां स्थानीय मुद्दों पर चुनाव जीतती हैं. वह खत्म हो जायेगा . लोकसभा व विधानसभा के वोटिंग पैटर्न में अंतर होता है जोकि लोकतंत्र के हित में है . फिर एक साथ चुनाव कराने के लिये एक बार में अधिक संसाधन , यानि अधिक फोर्स व ईवीएम इत्यादि लगेगा . अब पत्रकार माधो उस बात को हंसते हुए आगे बढ़ाते हुए बोले , अलग अलग चुनाव होने पर गरीब जनता को दो बार पैसे , उपहार व दारू मिल जाते थे . नेताओं का कमाया हुआ काला धन बाहर आ जाता है जो जनता में वापस बंट जाता है . चुनाव से कई लोगों को व्यापार मिल जाता है . इतना ही नहीं , अन्य राज्यों की बेहतर मुफ्त की स्कीम को अपने राज्य में घोषणा करना पार्टियों की मजबूरी हो जाती है . इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों को काम नहीं करने का बहाना मिल जाने से , अन्य झूठे बहाने नहीं बनाने पड़ते हैं . देश व पूरे राज्यों में एक ही पार्टी की सरकार बनने से बांग्लादेश की तरह काम तो बहुत अच्छे से होंगे पर शेख हसीना की तरह तानाशाही भी शुरू होने की संभावना बन जायेगी .
इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक
दैनिक पूरब टाइम्स