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Thursday, October 10, 2024

गुस्ताखी माफ : राष्ट्रीय पशु की जनसंख्या बढ़ाने का अनूठा उपाय , एक स्वयंभू विद्वान के दिमाग की उपज

छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के बाद , केंद्र के लोकसभा चुनाव में भी एक ही पार्टी ने जीत हासिल की . लोगों में इस डबल इंजीन सरकार से बहुत अधिक आशाएं हैं . प्रदेश के मंत्री भी अपनी योग्यता के अनुसार जनता की सेवा कर रहे हैं . जहां अधिकतर मंत्री पूर्व सरकार के मंत्रियो के अकड़ू कार्य व्यवहार के विपरीत विनम्र हैं , वहीं अनेक मंत्री के स्टाफ के अधिकारी , कर्मचारी अपने आप को सुपर मंत्री दर्शाते हैं . आजकल एक मंत्री का एक स्टाफ अपनी बुद्धिमानी से, आम जनता तो छोड़िये , बड़े बड़े अखबार नवीसों के कान काटते नज़र आता है .
देश में राष्ट्रीय पशु, शेर की संख्या केवल 674 रह गयी है.उनकों संरक्षित करने के लिए व उनकी जनसंख्या में वृद्धि के लिए केन्द्र सरकार ने हर साल सैकड़ों करोड़ों का बजट प्रावधान रखा है.इसके अलावा उन्होंने हर प्रदेश के वन मंत्रियों के सुझाव आमंत्रित किये है.सूत्रों के अनुसार हमारे प्रदेश के वन मंत्री के एक मातहत कर्मचारी के सुझाव पर , पूरा प्रदेश वाहवाही मिलने की आशा रखता है .मंत्री महोदय के उस मातहत कर्मचारी ने खुद की पीठ ठोकते हुये , हमारे मीडिया से कहा कि इस सुझाव से राष्ट्रीय पशुओं की वृद्धि के लिए आने वाला खर्च खत्म हो जायेगा और उनको संरक्षित करने का लफड़ा ही नहीं रहेगा . इसके अलावा जनता-जर्नादन को उनके दर्शन करने जंगल भी नहीं जाना पड़ेगा .हमारे द्वारा पूछने पर उन्होंने एकदम खुफिया अंदाज़ में बताया कि हम राष्ट्रीय पशु बदलने का प्रस्ताव रख रहे है .हमने फूल प्रूफ रिपोर्ट बना ली है, जिसे हमें शीघ्र जमा कराना है.. हमे शेर की जगह स्ट्रीट डॉग (गली का कुत्ता) का नाम राष्ट्रीय पशु बनाने हेतु प्रस्तावित करेंगे . इसके खर्च नियंत्रण इत्यादि अनेक फायदों के अलावा .कुत्तों में भी आत्मसम्मान की फीलिंग आयेगी .अब वह दिन दूर नहीं कि घर से बाहर निकलते के साथ बहुत सी संख्या में राष्ट्रीय पशु हमें देखने मिलेंगे और उनकी प्रजाति विलुप्त होने की कोई समस्या भी नहीं रहेगी ।
मंत्री महोदय के ,उन मातहत की बातें सुनकर, उनकी इज़्ज़त और श्रद्धा में हमारी आंखें भर आई . मालूम यह चला कि इसी तरह के परम विद्वान अनेक कर्मचारी , अनेक मंत्रियों के यहां पदस्थ हैं , जिनकी इज़्ज़त में हमारी आंखों से आंसू टपकने बाकी है .

इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक
दैनिक पूरब टाइम्स

( अस्वीकरण : गुस्ताखी माफ, एक व्यंग है जिसको केवल मनोरंजन के लिये लिख गया है . अनजाने में किसी जीवित या मृत से मिलती घटना , चरित्र चित्रण या किसी भी प्रकार की भावना आहत के लिये गुस्ताखी माफ करियेगा )

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