भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 151, एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए कानूनी आधार देती है यदि उसे ऐसा करने से पहले किसी अपराध के होने का संदेह हो। यह मुख्य रूप से उस स्थिति में लागू होती है जब पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को किसी अपराध को रोकने के उद्देश्य से गिरफ्तार करते हैं, भले ही उसने कोई अपराध न किया हो, लेकिन उसकी गतिविधियों से यह अनुमान लगाया जा सके कि वह भविष्य में अपराध कर सकता है।
धारा 151 के अंतर्गत गिरफ्तारी के सामान्य कारण:
किसी अप्रिय घटना को रोकना: जब पुलिस को लगता है कि व्यक्ति की गतिविधियों से कोई अप्रिय घटना या सार्वजनिक अशांति हो सकती है।
सार्वजनिक शांति बनाए रखना: जब पुलिस अधिकारी को यह संदेह हो कि व्यक्ति के पास हिंसा या अराजकता फैलाने का इरादा हो सकता है।
आवश्यक कार्रवाई: जब व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है ताकि भविष्य में अपराध या अव्यवस्था रोकी जा सके, जैसे विरोध प्रदर्शन में हिंसा का खतरा।
गिरफ्तारी की प्रक्रिया:
- यदि कोई व्यक्ति धारा 151 के तहत गिरफ्तार किया जाता है, तो पुलिस को उसे न्यायालय में पेश करना आवश्यक होता है।
- कोर्ट में उसकी गिरफ्तारी के कारणों का खुलासा किया जाता है, और वह व्यक्ति न्यायिक हिरासत में भेजा जा सकता है या जमानत पर रिहा किया जा सकता है।
यह धारा किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार देती है, जब तक यह सुनिश्चित न हो जाए कि किसी प्रकार की अव्यवस्था या हिंसा होने की संभावना न हो।
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