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Sunday, December 22, 2024

श्रीलंका कब आजाद हुआ , जानिए विस्तार से

श्रीलंका (जिसे पहले सीलोन के नाम से जाना जाता था) ने 4 फरवरी 1948 को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की। हालांकि इसे पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मिली थी, बल्कि यह एक डोमिनियन स्टेट बना, जिसका अर्थ है कि श्रीलंका ने ब्रिटिश सम्राट को अपने राजा के रूप में स्वीकार किया और इसका शासन ब्रिटिश प्रणाली के तहत चलता रहा। श्रीलंका ने पूरी तरह से गणराज्य का दर्जा 22 मई 1972 को प्राप्त किया, जब देश का नया संविधान लागू हुआ और इसका नाम बदलकर श्रीलंका कर दिया गया। आइए विस्तार से जानते हैं कि श्रीलंका की स्वतंत्रता कैसे हासिल हुई और इसका ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य क्या है।

1. प्रारंभिक इतिहास

  • श्रीलंका का एक समृद्ध और लंबा इतिहास है, जो प्राचीन काल में सिंहली राजाओं के अधीन था। श्रीलंका का स्थान एक प्रमुख व्यापार मार्ग पर था, जिससे कई देशों के व्यापारियों और आक्रमणकारियों का यहाँ आना-जाना रहा। श्रीलंका पर दक्षिण भारतीय राज्यों, जैसे चोल साम्राज्य, ने भी समय-समय पर आक्रमण किया।
  • 16वीं शताब्दी में, यूरोपीय शक्तियाँ श्रीलंका में आ गईं, और सबसे पहले पुर्तगाली यहां पहुँचे। इसके बाद डच और फिर ब्रिटिश आए।

2. ब्रिटिश शासन और स्वतंत्रता संग्राम

  • 1796 में, ब्रिटिशों ने श्रीलंका पर नियंत्रण प्राप्त किया और धीरे-धीरे पूरे द्वीप को अपने साम्राज्य का हिस्सा बना लिया। 1815 में ब्रिटिशों ने अंतिम सिंहली राजा को हराया और पूरी तरह से श्रीलंका पर शासन करने लगे।
  • ब्रिटिशों ने श्रीलंका में कई सामाजिक और आर्थिक बदलाव किए। वे यहां से कॉफी, चाय और रबर की खेती के जरिए आर्थिक लाभ कमाने लगे। चाय उद्योग विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो गया और श्रीलंका आज भी इसके लिए प्रसिद्ध है।

स्वतंत्रता की मांग:

  • 20वीं शताब्दी की शुरुआत में, श्रीलंका में भी राष्ट्रीय आंदोलन जोर पकड़ने लगा। भारत की स्वतंत्रता संग्राम से प्रेरणा लेते हुए, श्रीलंका के लोगों ने भी ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई।
  • 1920 के दशक में, श्रीलंका में कांग्रेसी आंदोलनों की शुरुआत हुई, जिनका उद्देश्य स्वशासन और अधिक अधिकारों की मांग करना था। इस समय पर सीलोन नेशनल कांग्रेस (CNC) का गठन हुआ, जो ब्रिटिश प्रशासन के खिलाफ एक प्रमुख राजनीतिक दल था।

3. द्वितीय विश्व युद्ध और स्वतंत्रता की दिशा

  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन कमजोर हो गया और उपनिवेशों में स्वतंत्रता की मांगें बढ़ने लगीं। श्रीलंका के भी प्रमुख नेताओं ने ब्रिटिश शासन से आजादी की मांग को तेज किया।
  • युद्ध के बाद, ब्रिटेन ने महसूस किया कि श्रीलंका को स्वतंत्रता देने का समय आ गया है। इस निर्णय के तहत श्रीलंका को धीरे-धीरे स्वशासन की ओर ले जाया गया।

4. स्वतंत्रता और डोमिनियन स्टेट

  • 4 फरवरी 1948 को श्रीलंका को ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहते हुए डोमिनियन स्टेट का दर्जा दिया गया। इसका मतलब यह था कि श्रीलंका की सरकार स्वतंत्र थी, लेकिन देश की औपचारिक प्रमुख ब्रिटिश सम्राट रहे। श्रीलंका ने ब्रिटिश प्रणाली के तहत अपने आंतरिक मामलों का प्रबंधन किया, जबकि विदेश नीति और रक्षा मामलों में ब्रिटेन का नियंत्रण रहा।
  • डी. एस. सेनानायके (D. S. Senanayake) श्रीलंका के पहले प्रधानमंत्री बने और उन्होंने देश को विकास की दिशा में ले जाने का कार्य शुरू किया।

5. गणराज्य की स्थापना

  • 1948 की स्वतंत्रता के बाद भी, श्रीलंका का राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास जारी रहा। 1950 और 1960 के दशक में, श्रीलंका के नेताओं ने देश को एक पूर्ण स्वतंत्र गणराज्य बनाने की मांग की।
  • 22 मई 1972 को, श्रीलंका ने अपना नया संविधान अपनाया और खुद को गणराज्य घोषित किया। इसके साथ ही, देश का नाम बदलकर सीलोन से श्रीलंका कर दिया गया। अब श्रीलंका एक संपूर्ण स्वतंत्र देश बन गया, जिसमें कोई भी औपचारिक रूप से ब्रिटिश साम्राज्य से जुड़ा नहीं था।

6. श्रीलंका के बाद की स्थिति

  • स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, श्रीलंका ने तेजी से विकास और सामाजिक सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाए। लेकिन, देश को कई आंतरिक संघर्षों का सामना करना पड़ा, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण था तमिल उग्रवाद और सिंहली-तमिल संघर्ष। यह संघर्ष 1980 के दशक में एक गृहयुद्ध में बदल गया, जो लगभग 26 वर्षों तक चला और 2009 में समाप्त हुआ।
  • इस संघर्ष के बावजूद, श्रीलंका ने अपने लोकतांत्रिक ढांचे को बनाए रखा और आज भी दक्षिण एशिया के सबसे प्रमुख देशों में से एक है।

निष्कर्ष

श्रीलंका ने 4 फरवरी 1948 को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की और इसे एक डोमिनियन स्टेट के रूप में मान्यता मिली। लेकिन, पूरी स्वतंत्रता और गणराज्य का दर्जा 22 मई 1972 को मिला, जब नया संविधान लागू हुआ और देश का नाम श्रीलंका रखा गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी, श्रीलंका को आंतरिक संघर्षों और विकास की चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन देश ने अपने लोकतांत्रिक ढांचे को बनाए रखा और धीरे-धीरे उभरता गया।

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