fbpx

Total Users- 605,608

Total Users- 605,608

Tuesday, January 14, 2025

खिलाफत आंदोलन : भारतीय मुसलमानों की स्वतंत्रता संघर्ष में एक महत्वपूर्ण अध्याय

खिलाफत आंदोलन (Khilafat Movement) भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम था, जो मुख्य रूप से भारतीय मुसलमानों द्वारा 1919 में शुरू किया गया था। इस आंदोलन का उद्देश्य तुर्की के खलीफा (सुलतान मेहमेत वी) की सत्ता को बचाना और ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा तुर्की को कमजोर करने के प्रयासों के खिलाफ विरोध करना था।

आंदोलन की पृष्ठभूमि:

प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के बाद, तुर्की और इसके खलीफा को ब्रिटिश साम्राज्य और उसके सहयोगियों से हार का सामना करना पड़ा। युद्ध के बाद, 1919 में ब्रिटिश साम्राज्य ने तुर्की के खिलाफ सजा देने के लिए सेंगली (Treaty of Sèvres) पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत तुर्की के खलीफा की धार्मिक और राजनीतिक शक्ति को समाप्त करने का निर्णय लिया गया था। भारतीय मुसलमानों के लिए यह एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा था, क्योंकि खलीफा को इस्लाम के धार्मिक नेता के रूप में माना जाता था। इस प्रकार, खलीफा की स्थिति को बचाने के लिए मुसलमानों ने आंदोलन शुरू किया।

आंदोलन के प्रमुख नेता:

  1. महात्मा गांधी: गांधी जी ने इस आंदोलन को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने इस आंदोलन को समर्थन दिया और इसे असहमति और अहिंसा के मार्ग से चलाने का आग्रह किया।
  2. मुहम्मद अली जोहर और शौकत अली: ये दोनों भाई, जिन्होंने इस आंदोलन की शुरुआत की, भारतीय मुसलमानों के प्रमुख नेता थे। उनका नेतृत्व आंदोलन में महत्वपूर्ण था और उन्होंने खलीफा की रक्षा के लिए भारतीय मुसलमानों को एकजुट किया।
  3. सैयद शाह अब्दुल अजीज: वे एक प्रमुख धार्मिक नेता थे, जिन्होंने आंदोलन के दौरान खलीफा की सहायता के लिए मुस्लिम समुदाय को प्रेरित किया।

आंदोलन के मुख्य उद्देश्य:

  1. तुर्की के खलीफा की धार्मिक और राजनीतिक स्थिति को बचाना।
  2. तुर्की पर ब्रिटिश नियंत्रण को समाप्त करना और उसकी स्वतंत्रता की रक्षा करना।
  3. भारतीय मुसलमानों को एकजुट करना और एक साझा उद्देश्य के तहत उनके अधिकारों की रक्षा करना।

आंदोलन की विशेषताएँ:

  1. गांधी जी का समर्थन: गांधी जी ने खिलाफत आंदोलन को भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के एक हिस्से के रूप में समर्थन दिया। उन्होंने इस आंदोलन को नम्रता और अहिंसा के साथ चलाने की आवश्यकता पर बल दिया। इससे भारतीय मुसलमानों को एक सामान्य लक्ष्य के तहत संगठित होने में मदद मिली।
  2. अंग्रेजों के खिलाफ एकजुटता: इस आंदोलन ने हिंदू और मुसलमानों को एकजुट किया और दोनों समुदायों को ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक साथ खड़ा कर दिया। हालांकि, आंदोलन ने तत्कालीन ब्रिटिश सरकार को बहुत ज्यादा दबाव नहीं डाला, लेकिन इससे भारतीय राजनीति में धार्मिक और सामाजिक एकता के महत्व को बल मिला।
  3. नमक सत्याग्रह और असहमति: गांधी जी ने खिलाफत आंदोलन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को भी शामिल किया और इसका हिस्सा बनाने के लिए असहमति का मार्ग अपनाया। उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ असहमति जताई और सशक्त आवाज उठाई।

आंदोलन की समाप्ति और प्रभाव:

खिलाफत आंदोलन 1924 में समाप्त हो गया, जब तुर्की ने 1923 में गणराज्य की स्थापना की और खलीफा की सत्ता समाप्त हो गई। इसके बावजूद, इस आंदोलन ने भारतीय राजनीति पर एक गहरा प्रभाव डाला और भारतीय मुसलमानों को राजनीतिक रूप से सशक्त किया।

हालांकि खिलाफत आंदोलन को अपने मुख्य उद्देश्य में सफलता नहीं मिली, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक नया मोड़ दिया। इसके साथ ही हिंदू-मुसलमान एकता को मजबूत किया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम समुदाय के बीच सहयोग की भावना को बढ़ावा दिया।

यह आंदोलन भारतीय राजनीति में धार्मिक और सामाजिक समानता, एकता और धर्मनिरपेक्षता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।

More Topics

Apple Watch SE 3: आकर्षक डिज़ाइन और किफायती कीमत के साथ युवाओं को लुभाने की तैयारी!

ब्लूमबर्ग के मार्क गुरमन की रिपोर्ट के अनुसार, Apple...

DGAFMS भर्ती 2025: सरकारी नौकरी का शानदार अवसर

पदों का विवरण: डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल...

जानिए दिल्ली का पहला चुनाव और दो-दो विधायक वाली अनोखी कहानी

दिल्ली का पहला विधानसभा चुनाव 27 मार्च 1952 को...

साबूदाना कैसे बनता है: सम्पूर्ण जानकारी और प्रक्रिया

साबूदाना (साबूदाना) एक प्रकार का बघारा हुआ स्टार्च होता...

Follow us on Whatsapp

Stay informed with the latest news! Follow our WhatsApp channel to get instant updates directly on your phone.

इसे भी पढ़े