fbpx

Total Users- 605,997

Total Users- 605,997

Thursday, January 16, 2025

“समझिए खिलाफत आंदोलन के ऐतिहासिक कारण और प्रभाव”

खिलाफत आंदोलन (Khilafat Movement) भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण आंदोलन था, जो 1919 से 1924 तक चला। इसका मुख्य उद्देश्य तुर्की के खिलाफ ब्रिटिश साम्राज्य की नीतियों के खिलाफ विरोध करना और मुस्लिम धार्मिक और राजनीतिक अधिकारों की रक्षा करना था। इस आंदोलन को मुख्य रूप से भारतीय मुसलमानों ने नेतृत्व किया था, और यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक हिस्सा था।

आंदोलन की पृष्ठभूमि

  1. पहली विश्व युद्ध (1914-1918): पहली विश्व युद्ध में तुर्की, जर्मनी और ऑस्ट्रो-हंगरी का गठबंधन ब्रिटेन के खिलाफ था। युद्ध के बाद तुर्की का खलीफा (सुलतान महमद VI) हार गया, और ब्रिटेन ने तुर्की के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को नियंत्रित करना शुरू किया।
  2. तुर्की का खलीफत संकट: युद्ध के बाद, तुर्की के खलीफा की सत्ता को खतरा हो गया, जब ब्रिटिश और फ्रांसीसी शक्तियों ने तुर्की के कुछ क्षेत्रों को विभाजित कर लिया और खलीफत के अधिकारों को कमजोर किया। इससे भारतीय मुसलमानों में चिंता और आक्रोश फैल गया, क्योंकि वे खलीफा को इस्लाम के आधिकारिक धर्मगुरु के रूप में मानते थे।

खिलाफत आंदोलन का उदय

खिलाफत आंदोलन की शुरुआत मुख्य रूप से मैंगलोर, कर्नाटक के एक धार्मिक नेता मुहम्मद अली जौहर और उनके भाई शौकत अली जौहर द्वारा की गई। उन्होंने 1919 में भारतीय मुसलमानों से खलीफा के समर्थन में एकजुट होने की अपील की। इसके साथ ही, गांधी जी ने भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता के रूप में इस आंदोलन का समर्थन किया।

मुख्य उद्देश्य और मांगें

  1. तुर्की के खलीफा (सुलतान) की शक्ति को बहाल किया जाए।
  2. तुर्की के खिलाफ ब्रिटिश द्वारा की गई साम्राज्यवादी नीतियों को समाप्त किया जाए।
  3. भारतीय मुसलमानों के धार्मिक और राजनीतिक अधिकारों की रक्षा की जाए।

आंदोलन का विस्तार

  • 1919 में जब रौलेट एक्ट और जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में महात्मा गांधी ने असहमति और विरोध की योजना बनाई, तो उन्होंने खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया।
  • इस आंदोलन ने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया। महात्मा गांधी और खिलाफत आंदोलन के नेताओं ने मिलकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के माध्यम से इस आंदोलन को और व्यापक बनाया।

आंदोलन का अंत

  • 1924 में तुर्की के नेता Mustafa Kemal Atatürk ने खलीफा को समाप्त कर दिया, और तुर्की को एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य बना दिया।
  • इसके साथ ही, खिलाफत आंदोलन का उद्देश्य समाप्त हो गया, क्योंकि खलीफा की भूमिका अब खत्म हो गई थी।
  • हालांकि, खिलाफत आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया और हिंदू-मुस्लिम एकता को प्रोत्साहित किया, लेकिन बाद में यह आंदोलन धीरे-धीरे कमजोर हो गया और समाप्त हो गया।

महत्व

खिलाफत आंदोलन ने भारतीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रभावित किया:

  1. हिंदू-मुस्लिम एकता: गांधी जी ने इस आंदोलन में हिंदू और मुसलमानों के बीच एकता को बढ़ावा दिया, जिससे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नया मोड़ मिला।
  2. महात्मा गांधी की भूमिका: गांधी जी का इस आंदोलन में शामिल होना उनके संघर्ष की एक नई दिशा का संकेत था, क्योंकि इससे उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और आम जनता के बीच व्यापक समर्थन मिला।
  3. स्वतंत्रता संग्राम: खिलाफत आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक नई ऊर्जा का संचार किया और ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष को तेज किया।

खिलाफत आंदोलन भारतीय राजनीति और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।

More Topics

वजन बढ़ाएं: जल्दी और स्वस्थ तरीके से वजन बढ़ाने के प्रभावी उपाय

वजन बढ़ाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपायों की जानकारी...

जानिए लिकोरिया: कारण, लक्षण और प्रभावी समाधान

लिकोरिया (Leucorrhea) एक सामान्य स्थिति है, जिसमें महिलाओं को...

जानिए 2025 की सभी एकादशी तिथियाँ और पूजा विधि

एकादशी हिंदू कैलेंडर के अनुसार माह के शुक्ल और...

पूवर: ऐसा स्थान जहां अरब सागर, नेय्यर नदी और भूमि आपस में मिलती है

पूवर: प्रकृति, समुद्र और शांतता का अद्भुत संगमपूवर (Poovar)...

Follow us on Whatsapp

Stay informed with the latest news! Follow our WhatsApp channel to get instant updates directly on your phone.

इसे भी पढ़े