उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने भारत के समुद्री क्षेत्र की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि यह क्षेत्र देश की आर्थिक, सामरिक और पर्यावरणीय समृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस क्षेत्र के सतत विकास और इसके बेहतर उपयोग के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
आर्थिक योगदान:
- भारत का समुद्री क्षेत्र वैश्विक व्यापार और नौवहन का एक प्रमुख केंद्र है।
- ब्लू इकॉनमी (नीली अर्थव्यवस्था) का विकास देश के आर्थिक विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
- समुद्री संसाधन, मछलीपालन, खनिज और ऊर्जा उत्पादन के माध्यम से भारत की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करते हैं।
सामरिक महत्व:
- हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक स्थिति इसे क्षेत्रीय सुरक्षा का प्रमुख कारक बनाती है।
- समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा और नौसेना की क्षमताओं को मजबूत करना, देश की रक्षा नीतियों का अहम हिस्सा है।
पर्यावरण और सतत विकास:
- समुद्री क्षेत्र का संरक्षण जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और समुद्री जैव विविधता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
- सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करने के लिए समुद्री संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग आवश्यक है।
भारत की पहलें:
- SAGAR (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन): समुद्री सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए भारत का प्रमुख कार्यक्रम।
- ब्लू इकॉनमी पर फोकस: समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग और आर्थिक लाभ को प्राथमिकता देना।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: हिंद महासागर और अन्य समुद्री क्षेत्रों में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अन्य देशों के साथ साझेदारी।
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारत को अपने समुद्री क्षेत्र के आधुनिकीकरण और नवाचार पर ध्यान देना चाहिए ताकि यह देश की विकास यात्रा में और अधिक योगदान दे सके।