fbpx

Total Users- 609,662

Total Users- 609,662

Thursday, January 23, 2025

नर्मदा बचाओ आंदोलन: जल, जंगल, जमीन की रक्षा में मेधा पाटकर की भूमिका

नर्मदा बचाओ आंदोलन (Narmada Bachao Andolan) एक महत्वपूर्ण सामाजिक और पर्यावरणीय आंदोलन है, जिसे मेधा पाटकर ने शुरू किया था। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य नर्मदा नदी पर बन रही बड़े बांधों से प्रभावित होने वाले लोगों के अधिकारों की रक्षा करना था। यह आंदोलन विशेष रूप से नर्मदा नदी पर बन रहे Sardar Sarovar Dam और अन्य बड़े जलाशय परियोजनाओं के खिलाफ शुरू हुआ था, जो हजारों ग्रामीणों, आदिवासियों और किसानों को विस्थापित कर रहे थे।

आंदोलन की शुरुआत

नर्मदा बचाओ आंदोलन की शुरुआत 1985 में हुई थी, जब मेधा पाटकर और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नर्मदा नदी पर बन रहे बांधों के खिलाफ आवाज उठाई। उनका आरोप था कि इन बांधों से जल, जंगल और जमीन पर निर्भर लोगों को नुकसान हो रहा था, और इन परियोजनाओं के लिए जिन गांवों और कस्बों को विस्थापित किया जा रहा था, वहां के लोगों के पुनर्वास के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई थी।

आंदोलन के मुख्य मुद्दे

  1. विस्थापन और पुनर्वास: बांधों के निर्माण के कारण प्रभावित होने वाले परिवारों के पुनर्वास की सही व्यवस्था की मांग।
  2. पर्यावरणीय प्रभाव: इन बड़े बांधों के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव, जैसे नदी के पारिस्थितिकी तंत्र का नष्ट होना, जलवायु परिवर्तन के जोखिम आदि।
  3. अधिकारों की रक्षा: प्रभावित लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना और उनकी आवाज़ को सही मंच पर पहुंचाना।

आंदोलन की प्रमुख घटनाएँ

  1. धनसिंह परियोजना और सरदार सरोवर बांध: इस आंदोलन का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध मुद्दा सरदार सरोवर डेम था, जिसके निर्माण में कई विवाद और कानूनी झमेले थे। मेधा पाटकर और उनके समर्थक इसे लेकर कई बार विरोध प्रदर्शन और अनशन पर भी बैठे।
  2. अनशन और संघर्ष: मेधा पाटकर ने कई बार भूख हड़ताल की और आंदोलन को एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाया।
  3. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: 2000 के दशक में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया, जिसमें कुछ सुधारों की बात की गई, लेकिन यह आंदोलन और भी आगे बढ़ता रहा।

आंदोलन का प्रभाव

नर्मदा बचाओ आंदोलन ने न केवल भारतीय समाज में पर्यावरणीय और मानवाधिकारों के मुद्दे को प्रमुखता दी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसे पर्यावरणीय आंदोलन और जल-न्यास की लड़ाई के रूप में जाना जाने लगा। इस आंदोलन ने विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को एकजुट किया और भारतीय जल नीति में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया।

मेधा पाटकर का योगदान

मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख नेता थीं। उनका नेतृत्व और संघर्ष जल, जंगल, जमीन और लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए रहा। उन्होंने न केवल नर्मदा क्षेत्र के विस्थापित लोगों के लिए संघर्ष किया, बल्कि पूरे देश में जल प्रबंधन और पर्यावरणीय न्याय के मुद्दे को भी प्रमुखता दी।

इस आंदोलन ने पर्यावरण संरक्षण, मानवाधिकार और विकास के सही मायने को लेकर एक बड़ा विमर्श शुरू किया और यह आज भी भारतीय राजनीति और सामाजिक न्याय में एक महत्वपूर्ण विषय है।

More Topics

आत्माओं का शहर: जहां जिंदा इंसानों से ज्यादा लाशें दफन हैं

कैलिफोर्निया का कॉलमा शहर एक अनोखी और रहस्यमय जगह...

WHO: विश्व स्वास्थ्य संगठन की सम्पूर्ण जानकारी

WHO (World Health Organization), जिसे हिंदी में विश्व स्वास्थ्य...

जानिए दुनिया का सबसे बड़ा राज्य और उसकी अनूठी विशेषताएँ

दुनिया का सबसे बड़ा प्रांत या राज्य सख़ा (Yakutia)...

Follow us on Whatsapp

Stay informed with the latest news! Follow our WhatsApp channel to get instant updates directly on your phone.

इसे भी पढ़े