भारत का इतिहास काफी पुराना है। इसके सबूत हर बार कहीं न कहीं से मिलते रहते हैं। भारतीय सभ्यता कितनी पुरानी है इसे लेकर अक्सर बहस छिड़ जाती है। कुछ लोग कहते है कि आर्यों की संस्कृति ज्यादा पुरानी नहीं है और वो इसी मुद्दे पर बहस करते रहते हैं। लेकिन कई पुरातात्विक रिसर्च से पता लगता है कि भारत का इतिहास हजारों नहीं बल्कि लाखों-करोड़ों साल पुराना है और इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप में। विशेषकर नर्मदा नदी के आसपास के क्षेत्रों में जहां तब मानव सभ्यता और संस्कृति विकसित हो चुकी थी, जब आधी से ज्यादा धरती पर इंसानों का अस्तित्व ही नहीं था।
अगर बात ग्रंथों की करें तो ग्रथों में इस बात के ठोस प्रमाण मिलते हैं कि भाषा और संस्कृति का उद्गम भारत से ही हुआ है। सारी दुनिया के लोग आज भी धार्मिक मान्यताओं, उच्च आदर्शों, आध्यात्मिकता और सामाजिक गठन की प्रक्रियों से संबंधित विभिन्न प्रकार के उदाहरणों और स्रोतों को खोजने और उन पर अध्ययन करने के लिए भारत आते रहते हैं।
पुरा पाषाण काल में चित्रकारी जैसी कला
यदि हम भारत के इतिहास की शुरुआत को पुरा पाषाण काल से भी मानते हैं तो यह काल 35,000 ईसा पूर्व से 9,000 ईसा पूर्व तक चला था। भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा दुनिया के अन्य हिस्सों में इस काल के दौरान मानव सभ्यता के कोई खास प्रमाण नहीं मिलते। दुनियाभर के इतिहासकारों का मानना है कि इस काल में व्यक्ति को किसी भी प्रकार की कला का कोई ज्ञान नहीं था। लेकिन, भीम बैठका की गुफाओं में की गई उस समय की चित्रकारी से इस बात के ठोस प्रमाण मिलते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप में उस समय की मानव सभ्यता को चित्रकारी जैसी कला का ज्ञान था। भारत का इतिहास को लेकर अक्सर बहस छिड़ी रहती है कि ये कितना पुराना है। इसके इतिहास को लेकर साक्ष्य अक्सर समय-समय पर पुरातत्वविदों को मिलते रहते हैं। आइए जानते हैं कि भारतीय सभ्यता कितनी पुरानी है?

भारत-भारत का इतिहास काफी पुराना है। इसके सबूत हर बार कहीं न कहीं से मिलते रहते हैं। भारतीय सभ्यता कितनी पुरानी है इसे लेकर अक्सर बहस छिड़ जाती है। कुछ लोग कहते है कि आर्यों की संस्कृति ज्यादा पुरानी नहीं है और वो इसी मुद्दे पर बहस करते रहते हैं। लेकिन कई पुरातात्विक रिसर्च से पता लगता है कि भारत का इतिहास हजारों नहीं बल्कि लाखों-करोड़ों साल पुराना है और इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप में। विशेषकर नर्मदा नदी के आसपास के क्षेत्रों में जहां तब मानव सभ्यता और संस्कृति विकसित हो चुकी थी, जब आधी से ज्यादा धरती पर इंसानों का अस्तित्व ही नहीं था।
अगर बात ग्रंथों की करें तो ग्रथों में इस बात के ठोस प्रमाण मिलते हैं कि भाषा और संस्कृति का उद्गम भारत से ही हुआ है। सारी दुनिया के लोग आज भी धार्मिक मान्यताओं, उच्च आदर्शों, आध्यात्मिकता और सामाजिक गठन की प्रक्रियों से संबंधित विभिन्न प्रकार के उदाहरणों और स्रोतों को खोजने और उन पर अध्ययन करने के लिए भारत आते रहते हैं।
पुरा पाषाण काल में चित्रकारी जैसी कला-यदि हम भारत के इतिहास की शुरुआत को पुरा पाषाण काल से भी मानते हैं तो यह काल 35,000 ईसा पूर्व से 9,000 ईसा पूर्व तक चला था। भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा दुनिया के अन्य हिस्सों में इस काल के दौरान मानव सभ्यता के कोई खास प्रमाण नहीं मिलते। दुनियाभर के इतिहासकारों का मानना है कि इस काल में व्यक्ति को किसी भी प्रकार की कला का कोई ज्ञान नहीं था। लेकिन, भीम बैठका की गुफाओं में की गई उस समय की चित्रकारी से इस बात के ठोस प्रमाण मिलते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप में उस समय की मानव सभ्यता को चित्रकारी जैसी कला का ज्ञान था।
पॉपुलेशन रिव्यू के मुताबिक, भारत पहले सिंधु घाटी के नाम से भी जाना जाता था। भारत में मानव सभ्यता की शुरुआत कब हुई, यह कहना मुश्किल है। क्षेत्र में मानव जीवन के शुरुआती संकेत मद्रासी संस्कृति के हैं, जो लगभग 500,000 साल पहले थे। क्षेत्र में संगठित सभ्यता के पहले संकेत लगभग 7570 ईसा पूर्व के हैं। यह भिरराना समय अवधि थी और इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास हुआ। सिंधु घाटी सभ्यता वास्तव में फलने-फूलने वाली इस क्षेत्र की पहली सभ्यता थी। यह लगभग 3300 ईसा पूर्व का है। इसने विभिन्न प्रकार के शासक राजवंशों को जन्म दिया, जिसमें प्राचीन काल से शास्त्रीय काल के साथ नंद वंश था, जो लगभग 345 ईसा पूर्व का है।