नये साल के पहली वाली रात में आप लोगों का क्या प्रोग्राम है ? एक दोस्त के सवाल पर दूसरा साथी बोला, क्या तुम यह सुनना चाहते हो कि हम अनेक लोगों की तरह खूब पियेंगे , खूब खायेंगे और खूब नाचेंगे व हुल्लड़ मचाएंगे ? वह दोस्त थोड़ा सा डिफेंसिव होते हुए बोला, मेरा मतलब यह नहीं था . मैं तो पूछ रहा था कि आप कहां जाने वाले हैं ? अब वही दूसरा साथी बोला कि कहां जा रहे हैं या किसके साथ जा रहे हैं , इससे ज़्यादा महत्वपूर्ण है कि आप कितने उल्लास और उमंग से नये साल का स्वागत कर रहे हैं .
मैंने भी उस बात की सहमति के लिये सिर हिलाते हुए कहा , पर मुझे लगता है कि आजकल साल के अंतिम दिनों से लोग नये साल का इंतज़ार , नये संकल्प लेने के लिये करते हैं . जैसे कोई मोटे शरीर वाला संकल्प करता है कि वह नये साल में डाइटिंग शुरु करेगा , इस कारण साल के आखरी दिन तक खूब जी भर के खाता है . कोई दारू प्रेमी तय करता है कि वह नये साल में वह शराब से दूर रहेगा इसलिये साल की आखरी रात में छककर पीता है . कोई तय करता है कि वह अगले वर्ष से सुबह जल्दी उठेगा , इस कारण से 31 तारीख को वह पूरी रात सोता ही नहीं . इसी तरह से ना जाने कितने लोग नये साल के लिये नये रिज़ोल्यूशन बनाते हैं अर्थात वे पिछले सभी दुख , दर्द , असफलता को ‘छोड़ो कल की बातें’ के अंदाज़ में हटाने के पहले सेलेब्रेट करते हैं . मेरी बात सुनकर पत्रकार माधो हंसते हुए बोल उठे , सच कहते हो . इतने सारे लोग नये साल में अपने लिये नये संकल्प निर्धारित करते हैं कि ऐसा लगता है जैसे नया साल आता ही है नये संकल्पों को लागू करने के लिये . परंतु वह संकल्प, शुरुआती दो चार दिन निभाने के जोश के कुछ दिनों बाद टांय टांय फिश हो जाता है . मैंने भी हंसते हुए कहा कि ‘ चार दिनों की चांदनी फिर अंधेरी रात’ कहावत की शुरूआत शायद इन्हीं संकल्पकर्ताओं के कारण हुई होगी . पर इसका इलाज़ क्या है ? पत्रकार माधो ने अब गम्भीर होकर हम सब के लिये एक अनुकरणीय बात कही , ‘ यदि हम रोज़ की सुबह को साल का पहला दिन मानते हुए अपने संकल्प को दोहराते हुए उसपर अमल करें तो वह संकल्प अवश्य ही सफल होगा ‘.
आप सबका नया वर्ष शुभ हो व आपके संकल्प इस वर्ष पूर्ण हो मेरी इसी मंगल कामना के साथ ‘नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ’
इंजी.मधुर चितलांग्या,
संपादक, दैनिक पूरब टाइम्स