वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (USAID) के 2,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है और हजारों अन्य को प्रशासनिक अवकाश पर भेज दिया है।
USAID कर्मचारियों को भेजे गए आधिकारिक नोटिस में कहा गया है कि 23 फरवरी 2025 से मिशन-महत्वपूर्ण कार्यों और विशेष रूप से नामित कार्यक्रमों के अलावा बाकी सभी प्रत्यक्ष नियुक्ति कर्मियों को वैश्विक स्तर पर प्रशासनिक अवकाश पर रखा जाएगा। हालांकि, अधिकांश कर्मचारियों की USAID सिस्टम तक पहुंच जारी रहेगी और उन्हें आगे के निर्देशों के लिए ईमेल पर निगरानी रखने को कहा गया है।
USAID पर ट्रंप की सख्ती
ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को USAID के खिलाफ एक कड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है। राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने कई बार कहा था कि USAID अमेरिकी करदाताओं के पैसे को बर्बाद कर रहा है। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने USAID की वित्तीय सहायता पर 90 दिनों की रोक भी लगा दी थी।
आगे पढ़ेटेस्ला और स्पेसएक्स के प्रमुख एलन मस्क ने भी कुछ समय पहले कहा था कि USAID को ‘कट्टर वामपंथी सनकी’ चला रहे हैं और इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है।
अदालत से मंजूरी के बाद फैसला लागू
ट्रंप ने यह कदम तब उठाया जब अमेरिकी संघीय जिला कोर्ट ने इस फैसले को हरी झंडी दे दी। कोर्ट ने सरकार को यह अनुमति दी कि वह कुछ प्रमुख कर्मचारियों को छोड़कर बाकी सभी को उनके पदों से हटा सकती है।
USAID क्या करता है?
USAID अमेरिका की विदेशी सहायता एजेंसी है, जो दुनिया के कई देशों को आर्थिक मदद प्रदान करती है। भारत समेत 100 से अधिक देशों में इसके 10,000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं और यह गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य सेवाएं, टीकाकरण, खाद्यान्न सहायता, शिक्षा और मानवीय सहायता जैसे कई कार्यक्रम चलाता है।
ट्रंप सरकार के इस फैसले से अमेरिकी विदेशी सहायता कार्यक्रमों पर व्यापक असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है।
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