सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने गुरुवार को एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि उनका देश अगले चार वर्षों में अमेरिका में 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करने की योजना बना रहा है। यह घोषणा उस समय की गई जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने शपथ ग्रहण के बाद सऊदी अरब को अपनी पहली विदेश यात्रा के संभावित गंतव्य के रूप में चुने जाने का जिक्र किया।
मुख्य बिंदु:
- निवेश की योजना:
- सऊदी प्रेस एजेंसी (SPA) द्वारा रिपोर्ट किए गए बयान में कहा गया कि क्राउन प्रिंस ने अमेरिका के साथ व्यापार और निवेश बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
- उन्होंने 600 बिलियन डॉलर या उससे अधिक की संभावित राशि निवेश करने का उल्लेख किया।
- ट्रम्प की प्रतिक्रिया:
- राष्ट्रपति ट्रम्प ने ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सऊदी अरब के साथ 2017 में हुई 450 बिलियन डॉलर के रक्षा और अन्य समझौतों की तर्ज पर अब अधिक व्यापारिक समझौतों की संभावना है।
- उन्होंने कहा, “यदि सऊदी अरब 500 बिलियन डॉलर तक की खरीदारी करना चाहता है, तो हम इसे महंगाई के साथ समायोजित करेंगे।”
- पहली विदेश यात्रा का जिक्र:
- ट्रम्प ने यह भी कहा कि पारंपरिक रूप से अमेरिका के राष्ट्रपति अपनी पहली विदेश यात्रा यू.के. में करते हैं। लेकिन 2017 में, उन्होंने सऊदी अरब का दौरा किया, जहां उन्होंने बड़े रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर किए।
- उन्होंने यह सुझाव दिया कि इस बार भी, उनकी पहली विदेश यात्रा सऊदी अरब हो सकती है, यदि बड़े सौदे होने की संभावना बनती है।
- अन्य राजनयिक गतिविधियां:
- क्राउन प्रिंस ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से भी गुरुवार की सुबह बातचीत की।
- व्हाइट हाउस की ओर से इस बातचीत का तत्काल कोई विवरण जारी नहीं किया गया।
- पृष्ठभूमि:
- 2017 में सऊदी अरब की ट्रम्प की यात्रा ने मध्य-पूर्व में भू-राजनीतिक प्रभाव डाला था, जिसमें चार अरब देशों (सऊदी अरब, यूएई, बहरीन, और मिस्र) ने कतर के खिलाफ बहिष्कार अभियान शुरू किया था।
व्यापार और भू-राजनीति पर प्रभाव:
- सऊदी अरब और अमेरिका के बीच यह बढ़ता आर्थिक सहयोग वैश्विक राजनीति और तेल बाजार में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
- सऊदी अरब के 600 बिलियन डॉलर के निवेश की योजना दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को और मजबूत कर सकती है।
- अमेरिका के लिए यह सौदा रोजगार, आर्थिक विकास, और रक्षा उद्योग के लिए बड़ा अवसर हो सकता है, वहीं सऊदी अरब अपनी तेल-निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने की कोशिश कर रहा है।