तेहरान: ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने गुरुवार को स्पष्ट रूप से कहा कि उनका देश कभी भी परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में नहीं बढ़ा। उन्होंने यह बयान तेहरान में ईरान की 1979 इस्लामी क्रांति की 46वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह में दिया, जहां विदेशी राजदूतों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी शिरकत की।
पेजेशकियन ने कहा, “हम परमाणु हथियार बनाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने फतवा जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि यह हमारे सिद्धांतों के खिलाफ है।” उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों ने अब तक जब चाहा, ईरान के परमाणु कार्यक्रम की जांच की है और भविष्य में भी वे इसे सौ बार देख सकते हैं।
अमेरिका के दबाव पर ईरान का जवाब
ईरानी राष्ट्रपति का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के खिलाफ “अधिकतम दबाव” नीति को बहाल करने की घोषणा की है। इस कदम का उद्देश्य ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकना बताया गया है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा, “तथाकथित अधिकतम दबाव एक असफल नीति रही है। अगर इसे दोहराया गया, तो ईरान भी ‘अधिकतम प्रतिरोध’ दिखाएगा।”
आगे पढ़ेJCPOA पर बनी अनिश्चितता
ईरान ने 2015 में विश्व शक्तियों के साथ एक ऐतिहासिक परमाणु समझौते (JCPOA) पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें प्रतिबंधों में छूट के बदले उसके परमाणु कार्यक्रम पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे। हालांकि, 2018 में अमेरिका इस समझौते से अलग हो गया और ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगा दिए, जिसके चलते तेहरान ने अपनी कुछ प्रतिबद्धताओं में कटौती कर दी।
2021 में ऑस्ट्रिया के वियना में JCPOA को पुनर्जीवित करने की कोशिशें शुरू हुईं, लेकिन अगस्त 2022 के बाद से कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।
ईरान के कड़े तेवर
ईरान का यह कड़ा रुख संकेत देता है कि वह अमेरिकी दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में वैश्विक शक्तियां इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती हैं।
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