अमेरिका के कई राज्यों में बुधवार को हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया। ये विरोध प्रदर्शन विशेष रूप से ट्रंप की आव्रजन नीतियों, ट्रांसजेंडर अधिकारों में बदलाव, और गाजा से फिलिस्तीनियों के स्थानांतरण से जुड़ी योजनाओं पर केंद्रित थे।
फिलाडेल्फिया, कैलिफोर्निया, मिनेसोटा, मिशिगन, टेक्सास, विस्कॉन्सिन, इंडियाना समेत कई राज्यों की राजधानियों में लोगों ने बैनर और पोस्टर लहराते हुए ट्रंप, उद्योगपति एलन मस्क और विवादास्पद प्रोजेक्ट 2025 की नीतियों की कड़ी आलोचना की।
यूएसएआईडी बंद होने की आशंका, वाशिंगटन डीसी में सैकड़ों जुटे
वाशिंगटन डीसी में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी सहायता एजेंसी (USAID) के समर्थन में प्रदर्शन किया। ट्रंप प्रशासन इसे बंद करने की योजना बना रहा है, जिससे दुनियाभर के अमेरिकी श्रमिकों के सामने नौकरी संकट और मानवीय सहायता कार्यक्रमों के ठप होने का खतरा मंडराने लगा है।
आगे पढ़े“लोकतंत्र पर हमला” – प्रदर्शनकारियों की चेतावनी
ओहियो की एक प्रदर्शनकारी मार्गरेट विल्मेथ ने कहा,
👉 “मैं लोकतंत्र में हो रहे इन बदलावों से हैरान हूं, लेकिन ये सब काफी पहले शुरू हो चुका था। इसलिए अब हमें अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी।”
प्रदर्शनकारियों ने #BuildTheResistance और #50501 जैसे हैशटैग के जरिए आंदोलन को ऑनलाइन भी बढ़ावा दिया, जो 50 राज्यों में 50 विरोध प्रदर्शनों का प्रतीक था। सोशल मीडिया पर “फासीवाद को अस्वीकार करें” और “हमारे लोकतंत्र की रक्षा करें” जैसे संदेश वायरल हुए।
एलन मस्क और “DOGE” विभाग पर भी नाराजगी
मिशिगन के लैंसिंग शहर में, कड़ी ठंड के बावजूद प्रदर्शनकारी जुटे। एन आर्बर निवासी कैटी मिग्लिएटी ने एलन मस्क की ट्रेजरी डिपार्टमेंट डेटा तक पहुंच को लेकर चिंता जताई। उन्होंने मस्क को ट्रंप की “कठपुतली” बताते हुए एक पोस्टर उठाया।
मिग्लिएटी ने एपी को बताया,
👉 “अगर हमने अभी कुछ नहीं किया और कांग्रेस से कदम उठाने की मांग नहीं की, तो यह हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला होगा।”
प्रदर्शनकारियों ने ट्रंप के प्रशासन में बनाए गए “सरकारी दक्षता विभाग” (DOGE) और प्रोजेक्ट 2025 को भी आड़े हाथों लिया।
निष्कर्ष
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के साल में यह बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन यह संकेत दे रहे हैं कि ट्रंप की वापसी को लेकर जनता में असंतोष गहराता जा रहा है। लोकतंत्र, मानवाधिकार, और नीति सुधार के मुद्दों को लेकर यह आंदोलन आने वाले दिनों में और तेज हो सकता है।
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