शिक्षा में स्मार्टफोन के बढ़ते प्रभाव और उसके दुष्प्रभावों को लेकर वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ रही है। शोधों के निष्कर्ष बताते हैं कि स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग छात्रों की एकाग्रता, मानसिक स्वास्थ्य और स्मृति पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में 79 शिक्षा प्रणालियों ने स्कूलों में स्मार्टफोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।
वैश्विक स्तर पर स्मार्टफोन प्रतिबंध
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट के अनुसार, 2023 के अंत तक दुनिया की 60 शिक्षा प्रणालियों ने विशेष कानूनों या नीतियों के माध्यम से स्कूलों में स्मार्टफोन प्रतिबंधित कर दिए हैं। इसका उद्देश्य छात्रों की शिक्षा को अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाना है।
भारत में स्मार्टफोन और शिक्षा
भारत में इस विषय पर अभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, लेकिन सर्वेक्षणों से मिले आंकड़े चौंकाने वाले हैं। हाल ही में 21 राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि 49.3% छात्रों के पास स्मार्टफोन की पहुंच है, लेकिन उनमें से केवल 34% ही इसका उपयोग पढ़ाई के लिए करते हैं। वहीं, 56.6% छात्र स्मार्टफोन का उपयोग मनोरंजन के लिए और 47.3% संगीत डाउनलोड करने में करते हैं।
शिक्षा और स्मार्टफोन: दोधारी तलवार
विशेषज्ञों का मानना है कि स्मार्टफोन, जहां ऑनलाइन शिक्षा के लिए आवश्यक बन गया है, वहीं इसका अनियंत्रित उपयोग छात्रों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। अत्यधिक स्क्रीन टाइम, ध्यान भंग, तनाव, नींद की कमी और अनुचित सामग्री तक पहुंच जैसी समस्याएं उभरकर सामने आई हैं।
क्या भारत में होगा स्मार्टफोन बैन?
शिक्षाविदों का कहना है कि भारत में स्कूलों में स्मार्टफोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने से पहले गहन शोध और परामर्श की आवश्यकता है। तकनीक का संयमित उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में सहायक हो सकता है, लेकिन उसका अनियंत्रित और अनुचित उपयोग छात्रों के बौद्धिक विकास को बाधित कर सकता है।
निष्कर्ष
बदलते शैक्षणिक परिदृश्य में स्मार्टफोन के उपयोग को पूरी तरह से समाप्त करना संभव नहीं है, लेकिन इसका संतुलित और संयमित उपयोग सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है। शिक्षा को डिजिटल युग में अधिक प्रभावी बनाने के लिए नीति-निर्माताओं को जल्द से जल्द इस विषय पर विचार-विमर्श करना होगा, ताकि तकनीक छात्रों के लिए सहायक बने, न कि बाधा।