खेड़ा सत्याग्रह (Kheda Satyagraha) 1918 में हुआ था और यह महात्मा गांधी द्वारा नेतृत्व किया गया था। यह सत्याग्रह विशेष रूप से गुजरात राज्य के खेड़ा जिले में हुआ, जहां किसानों ने अपने भूमि करों (taxes) को घटाने या माफ करने की मांग की थी, जो उस समय उनके लिए अत्यधिक बोझ बन गए थे।
पृष्ठभूमि:
- खेड़ा जिले की स्थिति: खेड़ा क्षेत्र में 1915 से 1918 तक फसल की बुरी स्थिति रही। अकाल, महामारी और प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की हालत बहुत खराब हो गई थी। इसके बावजूद, ब्रिटिश सरकार ने किसानों पर कृषि करों का बोझ बढ़ा दिया था।
- किसान आंदोलन: किसानों ने अपने करों को माफ करने की मांग की। वे यह भी चाहते थे कि जो किसान करों का भुगतान नहीं कर पा रहे थे, उनकी ज़मीन न छीनी जाए। इसके लिए उन्होंने एक सामूहिक संघर्ष का आह्वान किया।
- गांधी का नेतृत्व: गांधीजी ने इस सत्याग्रह में किसानों की मदद की और उन्हें अहिंसा के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया। गांधीजी ने यह सुनिश्चित किया कि किसान संघर्ष को शांतिपूर्वक और अहिंसा के साथ करें।
मुख्य घटनाएँ:
- सत्याग्रह की शुरुआत: गांधीजी ने खेड़ा में 1918 के प्रारंभ में सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की। उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों से किसानों के लिए करों में छूट की मांग की।
- किसानों का विरोध: किसानों ने अपनी ज़मीनों पर कड़ी कर वसूली के खिलाफ विरोध किया। सरकार ने उन्हें दंडित करने की धमकी दी, लेकिन किसान अहिंसा से लड़ते रहे।
- ब्रिटिश सरकार का दमन: ब्रिटिश सरकार ने किसान नेताओं को गिरफ्तार किया और किसानों को दबाने के लिए पुलिस का इस्तेमाल किया। फिर भी, गांधीजी के नेतृत्व में किसानों ने अपने संघर्ष को जारी रखा।
सफलता और परिणाम:
- कृषि करों में छूट: इस सत्याग्रह के परिणामस्वरूप, सरकार को मजबूर होना पड़ा और किसानों को राहत दी गई। सरकार ने किसानों के करों में कुछ छूट दी और उनकी ज़मीनों की जब्ती भी रोक दी।
- राष्ट्रीय ध्यान: खेड़ा सत्याग्रह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस आंदोलन ने महात्मा गांधी की नेतृत्व क्षमता को साबित किया और भारतीय जनता में राष्ट्रीय जागरूकता बढ़ाई।
महत्व:
- यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसमें गांधीजी ने अहिंसा के माध्यम से ब्रिटिश सरकार को चुनौती दी।
- यह सत्याग्रह किसानों के अधिकारों की रक्षा और समाज के सबसे कमजोर वर्ग के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
खेड़ा सत्याग्रह ने यह सिद्ध कर दिया कि अगर संघर्ष शांतिपूर्ण और अहिंसक तरीके से किया जाए, तो वह सफलता हासिल कर सकता है।