गोधरा कांड 27 फरवरी 2002 को हुआ था। यह घटना गुजरात के गोधरा शहर में हुई, जब साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन को आग लगा दी गई, जिससे उसमें यात्रा कर रहे 59 लोग मारे गए। इनमें अधिकांश लोग हिन्दू तीर्थयात्री थे जो अयोध्या से लौट रहे थे। इस घटना ने पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगों को जन्म दिया, जो कई दिनों तक चले और हजारों लोग प्रभावित हुए।
ऐतिहासिक महत्व:
- सांप्रदायिक तनाव का उभार: गोधरा कांड के बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे हुए, जो हिन्दू-मुस्लिम रिश्तों में तनाव को बढ़ाने का कारण बने। यह घटना भारतीय राजनीति और समाज में जातीय और धार्मिक विभाजन को और गहरा करने का एक प्रमुख बिंदु बनी।
- राजनीतिक असर: इस घटना ने गुजरात में 2002 में हुए विधानसभा चुनावों को प्रभावित किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगे कि उन्होंने दंगों को नियंत्रित करने में निष्क्रियता दिखाई। इसके कारण उनकी नेतृत्व शैली पर बहुत बहस हुई, और उनकी छवि को लेकर काफी चर्चा हुई।
- न्यायिक और समाजिक प्रभाव: गोधरा कांड के बाद की न्यायिक प्रक्रिया और दंगों के मामलों में जांच और न्याय का मुद्दा भी बहुत चर्चित रहा। यह घटना भारतीय न्याय प्रणाली और कानून व्यवस्था के लिए भी एक चुनौती बन गई।
इस कांड के बाद, भारत में धार्मिक तंग सोच, राजनीतिक खींचतान और न्याय की प्रक्रिया के प्रति लोगों के विश्वास को लेकर व्यापक बहस छिड़ी।