गणतंत्र दिवस पर 21 तोपों की सलामी एक गौरवपूर्ण परंपरा है, जो भारतीय सैन्य और राष्ट्र की शक्ति, सम्मान और एकता का प्रतीक है। इसकी शुरुआत 26 जनवरी 1950 को हुई थी, जब डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारत के पहले गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराया था और इसके साथ ही पहली बार 21 तोपों की सलामी दी गई थी।
इस परंपरा के पीछे एक ऐतिहासिक कारण है। ब्रिटिश राज के समय में शाही परेड आयोजित होती थी, जिसमें तोपों की सलामी दी जाती थी। स्वतंत्रता के बाद इसे जारी रखा गया और गणतंत्र दिवस पर 21 तोपों की सलामी को भारत की शक्ति और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में अपनाया गया।
आगे पढ़े21 तोपों की सलामी में दरअसल सात तोपों का इस्तेमाल होता है, जो एक निश्चित अंतराल पर तीन गोले दागती हैं, जिससे 21 गोलों की आवाज़ होती है। यह पूरी प्रक्रिया 52 सेकंड में पूरी की जाती है, जो राष्ट्रगान के समान समय है।
यह सलामी विशेष रूप से गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के सम्मान में दी जाती है, और इसे राष्ट्रपति और अन्य उच्चस्तरीय विदेशी मेहमानों को सम्मानित करने के लिए भी दिया जाता है।
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